न्यूज डेस्क
योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश और नोएडा में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम को मंजूरी दे दी है। यूपी कैबिनेट की बैठक में इस फैसले को मंजूरी दी गई है। इसके बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले 50 सालों से बेहतर और स्मार्ट पुलिसिंग के लिए पुलिस आयुक्त प्रणाली की मांग की जा रही थी। हमारे कैबिनेट ने दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखाते हुए ये प्रस्ताव पास कर दिया है।
सीएम योगी ने कहा कि एडीजे स्तर के अधिकारी पुलिस आयुक्त होंगे, जबकि 9 एसपी रैंक के अधिकारी तैनात होंगे। उन्होंने कहा कि एक महिला एसपी रैंक की अधिकारी महिला सुरक्षा के लिए इस सिस्टम में तैनात होगी।
लखनऊ में 40 थाने पुलिस कमिश्नर के अधीन
लखनऊ में कमिश्नरी प्रणाली लागू होने के बाद राजधानी पुलिस 5 जोन में बांटी जाएगी। हर जोन में कानून व्यवस्था, ट्रैफिक, क्राइम, हेड क्वार्टर, इंटेलिजेंस, सिक्योरिटी और महिला अपराध के लिए एक-एक डीसीपी तैनात किया जाएगा। राजधानी में एडिशनल एसपी स्तर के 13 एडिशनल डीसीपी होंगे।
लखनऊ को 14 सर्किल में बांटा जाएगा, जिसको डिप्टी एसपी स्तर के 28 असिस्टेंट सीपी देखेंगे। लखनऊ कमिश्नरी को 56 पुलिस अधिकारी संभालेंगे। लखनऊ के 40 थाने पुलिस कमिश्नर के अधीन होंगे। हालांकि, पांच ग्रामीण थानों में पुरानी व्यवस्था लागू रहेगी। बीकेटी, इटौंजा, मलिहाबाद, निगोहा और माल थानों में पुलिस की पुरानी व्यवस्था लागू रहेगी। वहीं, नोएडा में एक पुलिस कमिश्नर, दो ज्वाइंट कमिश्नर होंगे। नोएडा कमिश्नरी को 38 पुलिस अधिकारी संभालेंगे।
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अभी इस प्रणाली को सूबे की राजधानी लखनऊ और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (NCR) के पास नोएडा में इसे लागू किया जाएगा। बता दें कि देश के 15 राज्यों के 71 शहरों जिनमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बंगलुरू, अहमदाबाद, राजकोट, बड़ौदा, हैदराबाद, त्रिवेंद्रम आदि शामिल हैं, वहां ये सिस्टम लागू है और बेहतर कार्य कर रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि काफी पहले से अलग-अलग संस्थाओं ने इसके लिए सुझाव दे रही थीं। कई बार न्यायपालिका हमें इस बात के लिए कटघरे में खड़ी भी करती थी। वर्षों से मांग थी कि यहां पुलिस आयुक्त की प्रणाली लागू हो।
मुख्यमंत्री ने कहा, पहले यह लागू नहीं हो पाया। मुझे अब प्रसन्नता है कि लखनऊ और नोएडा पुलिस आयुक्त प्रणाली के लिए हमारी कैबिनेट ने स्वीकृति दी है। इस प्रणाली के तहत एसपी, एडिशनल एसपी रैंक का अधिकारी यातायात के लिए विशेष रूप से तैनात होगा। निर्भया फंड का इस्तेमाल भी इस सिस्टम में महिला सुरक्षा के लिए होगा।
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में उप पुलिस अधीक्षक (डिप्टी एसपी) से ऊपर जितने अधिकारी होते हैं, उनके पास मजिस्ट्रेट स्तर की शक्ति होती है। मगर थानाध्यक्ष और सिपाही को वही अधिकार रहेंगे, जो उन्हें फिलहाल मिले हुए हैं। कहीं विवाद या बड़े बवाल जैसी घटना होती है तो जिलाधिकारी के पास ही भीड़ नियंत्रण और बल प्रयोग करने का अधिकार होता है, मगर कमिश्नरी लागू होने पर इसका अधिकार पुलिस के पास होगा। इसके साथ ही शांति व्यवस्था के लिए धारा-144 लागू करने का अधिकार भी कमिश्नर को मिल जाएगा।
अगर आपको नहीं पता की पुलिस कमिश्नरी प्रणाली क्या होती है तो हम आपको बताते हैं कि आखिर पुलिस कमिश्नरी प्रणाली क्या होती है। पुलिस कमिश्नर के अधिकार कैसे बढ़ जाते हैं।
पुलिस कमिश्नर को मिलती है मजिस्ट्रेट की पॉवर
भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के भाग 4 के अंदर जिलाधिकारी यानी डीएम के पास पुलिस पर नियत्रंण के अधिकार भी होते हैं।
इस पद पर आसीन अधिकारी IAS होता है। लेकिन पुलिस कमिश्नरी सिस्टम (BG) लागू हो जाने के बाद ये अधिकार पुलिस अफसर को मिल जाते हैं, जो एक IPS होता है। यानी जिले की बागडोर संभालने वाले डीएम के बहुत से अधिकार पुलिस कमिश्नर के पास चले जाते हैं।
कमिश्नर के पास होते हैं कई अहम अधिकार
दण्ड प्रक्रिया संहिता (CRPC) के अंदर एक्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट को भी कानून और व्यवस्था को विनियमित करने के लिए कुछ शक्तियां मिलती है। जिस वजह से पुलिस अधिकारी सीधे कोई फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं,(BG) वे आकस्मिक परिस्थितियों में डीएम या कमिश्नर या फिर शासन के आदेश के तहत ही कार्य करते हैं, लेकिन पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में IPC और CRPC के(BG) बहुत से महत्वपूर्ण अधिकार पुलिस कमिश्नर को मिल जाते हैं।
प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का अधिकार
पुलिस कमिश्नर प्रणाली में पुलिस कमिश्नर सबसे ऊंचा होता है। ज्यादातर ये प्रणाली महानगरों में लागू की गई है। पुलिस कमिश्नर को(BG) ज्यूडिशियल पॉवर भी होती हैं। CRPC के अंदर कई अधिकार इस पद को मजबूत बनाते हैं। इस प्रणाली में प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के लिए पुलिस ही डीएम पॉवर का यूज़ करती है। हरियाणा के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक पुलिस प्रतिबंधात्मक (BG) कार्रवाई का अधिकार मिलने से अपराधियों को खौफ होता है। क्राइम रेट भी कम होता है।
बड़े महानगरों के लिए उपयोगी है कमिश्नर प्रणाली
हरियाणा में तीन महानगरों में पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू है। इन शहरों में NCR के गुरुग्राम, फरीदाबाद और चंडीगढ़ से लगा पंचकुला शहर शामिल है। हरियाणा पुलिस के एडीजी स्तर (BG) के एक अधिकारी ने जानकारी देते हुए बताया कि दिल्ली-NCR में आने वाले दूसरे राज्यों के महानगरों की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। वहां देशभर के लोग रहने के लिए आते हैं।
NCR के महानगरों में कप्तान
एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार NCR के महानगरों में कई बड़ी कंपनिया और अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय भी हैं। ऐसे में आर्थिक अपराध के मामले(BG) अक्सर सामने आते रहते हैं। आए दिन VIP लोगों का आना-जाना भी लगा रहता है। उनकी सुरक्षा और अवागमन से संबंधित कार्य भी रहते हैं। इसके साथ ही रोजमर्रा की घटनाएं, यातायात संबंधी मामले भी भारी (BG)संख्या में आते हैं। ऐसे में SSP या SP स्तर का अधिकारी पूरे जिले को नहीं संभाल सकता।
जोन में बांट दिया जाता है महानगर
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली लागू होने से पुलिस को बड़ी राहत मिलती है। कमिश्नर का मुख्यालय बनाया जाता है। एडीजी स्तर के सीनियर आईपीएस (BG)को पुलिस कमिश्नर बनाकर तैनात किया जाता है। महानगर को कई जोन में विभाजित किया जाता है। हर जोन में डीसीपी की तैनाती होती है। जो एसएसपी की तरह उस जोन को देखा(BG) करते है। सीओ की तरह एसीपी तैनात होते हैं। जो 2 से चार थानों को देखा करते हैं।
आर्म्स एक्ट के मामले भी निपटाते हैं कमिश्नर
आर्म्स एक्ट के मामले भी पुलिस कमिश्नर डील करते हैं। इस अंदर है महानगर की कानून व्यवस्था भी मजबूत होती है और नागरिकों को सुरक्षा का अहसास होता है। जो लोग हथियार का लाइसेंस लेने के लिए अवादेन करते हैं, उसके आवंटन का अधिकार (BG)भी पुलिस कमिश्नर को मिल जाता है। पुलिस कमिश्नर की सहायता के लिए ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर, असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर भी तैनात किए जाते हैं।
अंग्रेजों ने शुरू की थी पुलिस कमिश्नर प्रणाली
देश में पुलिस प्रणाली पुलिस अधिनियम, 1861 पर आधारित थी और आज भी ज्यादातर शहरों में पुलिस प्रणाली इसी (BG)अधिनियम पर आधारित है। इसकी शुरूआत अंग्रेजों ने की थी। तब पुलिस कमिश्नर प्रणाली भारत के कोलकाता (कलकत्ता), मुंबई (बॉम्बे) और चेन्नई (मद्रास) में हुआ करती थी। उस टाइम इन शहरों को प्रेसीडेंसी सिटी कहा जाता था। लेकिन बाद में उन्हें महानगरों रूप में जाना जाने लगा।
क्यों है खास पुलिस कमिश्नर सिस्टम
- पुलिस में भी लागू हो गया सिंगल विंडो सिस्टम
- अब जो दंगा करेगा, उपद्रव करेगा, आमजन और पुलिस पर हमला करेगा, सार्वजनिक संपत्तियों को बर्बाद करेगा, उससे सीधे निपटेगी पुलिस
- अब गुंडों, माफियाओं, सफेदपोशों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के लिए पुलिस को नहीं भटकना पड़ेगा मजिस्ट्रेटों के कार्यालयों में
- पुलिस को खुद होगा गुंडों, माफियाओं और सफेदपोशों को चिन्हित कर उनके खिलाफ त्वरित कार्रवाई का पूरा अधिकार
- अपराधियों, माफियाओं और सफेदपोशों के असलहों के लाइसेंस कैंसिल करने के लिए भी पुलिस के पास हुए सीधे अधिकार
- 151 और 107, 116 जैसी धाराओं में पुलिस को गिरफ्तार कर सीधे जेल भेजने का होगा अधिकार
- आमजन के हित के फैसलों में नौकरशाही का मकड़जाल खत्म
- कमिश्नर सिस्टम से बढेगी पुलिस की जवाबदेही, थाने स्तर पर आम लोगों की सुनवाई और बेहतर होगी, पुलिस की गड़बड़ी पर होगा अंकुश