Tuesday - 29 October 2024 - 2:35 PM

शिखा सिंह की कविताएं

शिखा सिंह इस दौर की उभरती हुई कवियत्री हैं । संप्रति वे फर्रुखाबाद में रहती हैं और कविता सृजन कर रही हैं । स्त्री विमर्श  और रिश्ते उनकी कविताओं का केंद्र रही हैं ।

1.

कितने कैद खानें

स्त्री तेरे कितने कैदखाने
मांथे पर बिंदी की कैद
नाक में बेशर की कैद
गले में हसली की कैद
हाथों में चूड़ी की कैद
सर से पांव तक तू कैद है
कैद है घूघट में मुखडे की कैद
बिन व्याही माँ है तो पिता के घर न लौटने को कैद
अगर तू प्रेमिका है तो समाज के जुल्मों में कैद
विधवा है तो दूसरे मर्द को न सोचने को कैद
स्त्री तू कितनी कैद है फिर भी तू आजाद है
तन तेरा पाँच मीटर के लम्बे लिहाफ में कैद है
आंचल तेरा दो गज अंगिया में कैद है
तेरी चाल चौखट के अन्दर कैद है
स्त्री तू फिर भी आजाद है
जिस के लिये तुझे कैद किया जाता है
वो है पुरुष
फिर भी तुझे पुरुष को दिया जाता है
तुम में वो शक्ति है
कैद के बाद भी देती है एक और जन्म
कैद को और शक्त करने के लिये
एक स्त्री और पुरुष को जन्म
जन्म देने को तुम आजाद हो
संसार की प्रगतिशीलता के के लिए
तुम आज़ाद हो
तुम कभी कैद नहीं हो सकती
स्त्री तुम हमेशा आजाद थी
आज़ाद हो आज़ाद रहोगी
हर बार जन्म देने के लिये
किताब पढ़ी जा सकती है
लिखी जा सकती है मगर फाडी़ नही जा सकती
हमेशा को खत्म करने के लिये
स्त्री तुम आज़ाद हो
अगर तुमको कैद किया है तो डर है
उस पित्रसत्ता को कहीं उसका हक तुम्हें न मिल जाये
लेकिन तुम्हें नही चाहिए
उनका हक क्योंकि तुम खुद आज़ाद हो
नयी विरासत के जन्म के लिये
सब तुम्हारा है बस डर उनका है
स्त्री तेरे हिस्से कितने कैद
फिर भी तुम आजाद हो

2.

रिश्ते

स्त्री के जीवट जीवन को
उकेरने की ताकत
एक पिता में अधिक होती है
फिर चाहे वो पिता बेटे का हो ,
या एक पति का पिता
वो सिर्फ एक पिता होता है
रिश्तों का आंकलन ,
सिर्फ रिश्तों से किया जाता है !
सम्बंधो से नही ।
प्रेम के नाम का हर रिश्ता
नाजायज नही होता !
वो सिर्फ रिश्ता होता है !!
एक पिता का ,वो चाहे बेटी का पिता हो ,
या बेटी के पति का पिता ,
पिता गुरु भी है ,एक ताकत भी ।
स्त्री एक जननी है ,
और मात्रशक्ति भी,
जो जीवन का अनमोल रिश्ता है ।
उसे खुल कर जियो घुट कर नहीं !
रिश्तों का सम्मान करो
रिश्ते तुम में सम्मिलित होकर
सम्मानित करेंगे!
रिश्तों को पढ़ो महसूस करो
जियो और जिलाओ भी
जन्म एक है जियो और सींचो
माफी देकर तुम झुक जाओ
झुकने बाला खुद बड़ा बन जाता है

Radio_Prabhat
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