जुबिली न्यूज़ डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर महीने के अंतिम रविवार को देश की जनता के साथ मन की बात साझा करते हैं। इस दौरान वह नरेंद्र मोदी ऐप पर मिले संदेश और सुझावों का भी जिक्र करते हैं। प्रधानमंत्री की आज के संबोधन में हमेशा की तरह विभिन्न क्षेत्रों का जिक्र किया गया। पीएम मोदी ने कोरोना वायरस के बाद की चुनौतियों से लेकर वास्तविक नियमंत्रण रेखा पर सैनिकों की शहादत को भी याद किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने लोगों से आत्मनिर्भर बनने की भी अपील की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज चीन को करारा जवाब दिया है। पीएम मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम के दौरान पड़ोसी देश के साथ चल रहे विवाद पर चीन पर करारा हमला बोला है। पीएम मोदी ने कहा कि लद्दाख में भारत की भूमि पर आंख उठाकर देखने वालों को करारा जवाब मिला है। लद्दाख में भारत-चीन की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पड़ोसी देश ये बात बात जान ले कि अगर भारत, मित्रता निभाना जानता है तो आंख में आंख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है।
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पीएम मोदी के ‘मन की बात’ के 10 बड़ी बातें-
– लद्दाख में हमारे जो वीर जवान शहीद हुए हैं, उनके शौर्य को पूरा देश नमन कर रहा है, श्रद्धांजलि दे रहा है। पूरा देश उनका कृतज्ञ है, उनके सामने नत-मस्तक है। इन साथियों के परिवारों की तरह ही, हर भारतीय, इन्हें खोने का दर्द भी अनुभव कर रहा है। बिहार के रहने वाले शहीद कुंदन कुमार के पिता के शब्द तो कानों में गूंज रहे हैं। वो कह रहे थे, अपने पोतों को भी, देश की रक्षा के लिए, सेना में भेजूंगा। यही हौसला हर शहीद के परिवार का है। वास्तव में, इन परिजनों का त्याग पूजनीय है।
– लद्दाख में भारत की भूमि पर, आंख उठाकर देखने वालों को, करारा जवाब मिला है। भारत, मित्रता निभाना जानता है, तो, आंख-में-आँख डालकर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है। दुनिया ने भी देखा कि सीमा और संप्रभुता की रक्षा के लिए भारत की प्रतिबद्धता देखा।
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– भारत ने जिस तरह मुश्किल समय में दुनिया की मदद की, उसने आज शांति और विकास में भारत की भूमिका को और मज़बूत किया है। दुनिया ने भारत की विश्व बंधुत्व की भावना को भी महसूस किया है। अपनी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए भारत की ताकत और भारत के कमिटमेंट को देखा है।
– भारत में जहां एक तरफ़ बड़े-बड़े संकट आते गए, वहीं सभी बाधाओं को दूर करते हुए अनेकों-अनेक सृजन भी हुए। नए साहित्य रचे गए, नए अनुसंधान हुए, नए सिद्धांत गड़े गए,यानि संकट के दौरान भी हर क्षेत्र में सृजन की प्रक्रिया जारी रही और हमारी संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती रही।
– सैकड़ों वर्षों तक अलग-अलग आक्रांताओं ने भारत पर हमला किया, लोगों को लगता था कि भारत की संरचना ही नष्ट हो जाएगी, लेकिन इन संकटों से भारत और भी भव्य होकर सामने आया। एक साल में एक चुनौती आए या पचास, नंबर कम-ज्यादा होने से, वो साल, ख़राब नहीं हो जाता। भारत का इतिहास ही आपदाओं और चुनौतियों पर जीत हासिल कर, और ज़्यादा निखरकर निकलने का रहा है।
– कुछ दिन पहले, देश के पूर्वी छोर पर Cyclone Amphan आया, तो पश्चिमी छोर पर Cyclone Nisarg आया I कितने ही राज्यों में हमारे किसान भाई–बहन टिड्डी दल के हमले से परेशान हैं और कुछ नहीं, तो देश के कई हिस्सों में छोटे-छोटे भूकंप रुकने का ही नाम नहीं ले रहे।
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– कृषि क्षेत्र को देखें, तो, यहां भी बहुत सारी चीजें दशकों से लॉकडाउन में फसी थीं। इस सेक्टर को भी अब अनलॉक कर दिया गया है। इससे जहां एक तरफ किसानों को अपनी फसल कहीं पर भी, किसी को भी, बेचने की आजादी मिली है। अनलॉक के दौर में बहुत सी ऐसी चीजें भी अनलॉक हो रही हैं, जिनमें भारत दशकों से बंधा हुआ था। वर्षों से हमारा खनन सेक्टर लॉकडाउन में था। Commercial Auction को मंजूरी देने के एक निर्णय ने स्थिति को पूरी तरह से बदल दिया है।
– कोई भी मिशन जन-भागीदारी के बिना पूरा नहीं हो सकता है। इसीलिए आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नागरिक के तौर पर हम सबका संकल्प, समर्पण और सहयोग बहुत जरूरी है। आप लोक खरीदेंगे, लोकल के लिए वोकल होंगे। ये भी एक तरह से देश की सेवा ही है।
– हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने। यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।
– अरुणाचल प्रदेश की एक ऐसी ही प्रेरक कहानी, मुझे पढ़ने को मिली। यहां, सियांग जिले के मिरेम गांव ने वो अनोखा कार्य कर दिखाया, जो समूचे भारत के लिए, एक मिसाल बन गया है। इस गांव के कई लोग, बाहर रहकर, नौकरी करते हैं । गांव वालों ने देखा कि कोरोना महामारी के समय, ये सभी, अपने गांव की ओर लौट रहे हैं । ऐसे में, गांव वालों ने, पहले से ही गांव के बाहर क्वारंटाइन का इंतजाम करने का फैसला किया। उन्होंने, आपस में मिलकर, गांव से कुछ ही दूरी पर, 14 अस्थायी झोपड़ियाँ बना दीं, और ये तय किया, कि, जब, गांव वाले लौटकर आएंगे तो उन्हें इन्हीं झोपड़ियों में कुछ दिन क्वारंटाइन में रखा जाएगा।