न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अयोध्या आ रहे हैं। यहां मोदी एक चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। चुनाव के दौरान पीएम की इस रैली को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं। पिछले पांच साल में मोदी का यह पहला अयोध्या दौरा होगा।
गौरतलब है कि राम मंदिर का मुद्दा चुनाव से पहले चरम पर था। लेकिन चुनाव शुरू होने से ठीक पहले पुलवामा अटैक के बाद से ही बीजेपी ने राम मंदिर मुद्दे को हासिए पर डाल दिया और राष्ट्रवाद को मुख्य मुद्दा बना लिया।
जानकारों का कहना है कि बीजेपी अभी तक राष्ट्रवाद के एजेंडे पर आगे बढ़ रही थी। वहीं इस सभा से बीजेपी के हार्ड हिंदुत्व का मैसेज फ्रंट पर आ सकता है।
पीएम मोदी अयोध्या में रैली करने के बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी चुनावी कार्यक्रम करेंगे। पीएम की ये रैली अंबेडकरनगर में है, ये राम लला मंदिर से करीब 30 किमी दूर है।
इस बीच सबकी नजरें इस बात पर टिकी हुई हैं कि क्या पीएम मोदी रामलला के दर्शन करने जाएंगे। अगर ऐसा होता है तो मोदी हिंदुत्व के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला सकते हैं। हालांकि, अभी तक पीएम मोदी को राम लला के दर्शन करने जाने का कोई प्लान नहीं है।
वहीं, अगर पीएम मोदी रामलला दर्शन करने नहीं जाते हैं तो सवाल उठेगा कि क्या कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की तरह पीएम मोदी भी भगवान राम से दूरी बना रहे हैं।
बताते चले कि प्रियंका अपने अयोध्या दौरे के दौरान कांग्रेस प्रत्याशी का प्रचार करने गई थी, लेकिन वो रामलला के दर्शन नहीं गई, इस बात चुनावी मुद्दा बनाते हुए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस महासचिव की आलोचना की थी और सवाल किया था कि आखिर प्रियंका रामलला से दूरी क्यों बना रही हैं।
पिछले पांच साल में कई बार ऐसा मौका आया है जब साधु-संतों ने मांग की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार जरूर अयोध्या आना चाहिए, लेकिन मोदी अयोध्या नहीं पहुंचे। 2014 चुनाव जीतने के बाद पीएम मोदी ने भगवान श्रीराम और अयोध्या से किनारा कर लिया था।
सत्ता संभालने के बाद वह कभी भी न तो हिंदुत्व पर बोले और न ही अयोध्या या भगवान श्रीराम पर। जबकि पार्टी के एजेंडे में श्रीराम मंदिर हमेशा से रहा है। इतना ही नहीं वह सीएम योगी और अन्य कट्टर हिंदुत्ववादी छवि के नेताओं से भी किनारा कर लिए थे। उनके लिए मोदी ने सार्वजनिक मंच से कभी कुछ नहीं कहा।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में एक बार फिर हिंदुत्व का म़ुद्दा उठा। उत्तर प्रदेश में सबसे बड़े कट्टर हिंदुत्व छवि के नेता योगी आदित्यनाथ है। योगी का पूर्वांचल में गहरा दखल है।
विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी चुनाव प्रचार के लिए आए लेकिन वह अयोध्या तो नहीं गए लेकिन योगी के सम्मान में कसीदे पढ़कर हिंदुत्व को हवा देते रहे। खुद तो श्रीराम मंदिर के बारे में कुछ नहीं कहे लेकिन योगी के माध्यम से इसे मुद्दा बनाये रखा। इसका असर चुनाव में दिखा भी। बीजेपी यूपी में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई।
गठबंधन और कांग्रेस ने बिगाड़ा खेल
80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में 26 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। ऐसी चर्चा कि इन सीटों पर बीजेपी खास नहीं कर पायी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा और आरएलडी गठबंधन के साथ-साथ कांग्रेस ने बीजेपी के गणित को बिगाड़ दिया है। अभी उत्तर प्रदेश में 54 सीटों पर चुनाव होना बाकी है। इसलिए पीएम मोदी अब इधर फोकस कर रहे हैं। मोदी जानते हैं कि यूपी में फतह के बिना दिल्ली की सत्ता दोबारा पाना सपने जैसा है।
एक मई को अयोध्या में चुनावी रैली कर पीएम मोदी एक साथ कई समीकरण साधने की कोशिश करेंगे। अयोध्या से वह संदेश देंगे कि हिंदुत्व और राम मंदिर बीजेपी की प्राथमिकता में है ही साथ ही वह यहां से बहराइच, कैसरगंज, बाराबंकी, गोंडा, लखनऊ को भी साधने की कोशिश करेंगे। कुल मिलाकर मोदी अयोध्या से अवध को घेरने की कोशिश करेंगे।
6 मई को जिन सीटों पर मतदान होना है उनमें धौरहरा, सीतापुर, मोहनलाल गंज, लखनऊ, रायबरेली, अमेठी, बांदा, फतेहपुर, कौशांबी, बाराबंकी, फैजाबाद बहराइच, कैसरगंज और गोंडा शामिल है। अमेठी और रायबरेली छोड़कर बीजेपी ने इन सभी सीटों पर 2014 चुनाव में जीत हासिल की थी।
फिलहाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक बार फिर भगवान श्रीराम की शरण में आ रहे हैं। भगवान श्रीराम कितना सहारा देंगे यह 23 मई को पता चलेगा लेकिन पीएम की रैली से उम्मीदवारों में जीत की आस जरूर बढ़ गई है।