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1999 में आडवाणी के दिए सुझाव को पीएम मोदी ने 2019 में किया पूरा

न्‍यूज डेस्‍क

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से देशवासियों को संबोधित करने के दौरान सुरक्षा के मोर्चे पर नई चुनौतियों के मद्देनजर देश की तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के लिए ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (सीडीएस) के नया पद सृजित किए जाने का एलान किया।

पीएम मोदी ने कहा कि सीडीएस सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल सुनिश्चित करेगा और उन्हें प्रभावी नेतृत्व देगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमारी सरकार ने फैसला किया है कि अब चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ का पद सृजित होगा।

गौरतलब है कि 1999 में हुए कारगिल युद्ध की जब तत्कालीन डिप्टी पीएम लाल कृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में गठित ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स(GOM) ने समीक्षा की तो पाया कि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय की कमी रही। अगर तीनों सेनाओं के बीच ठीक से तालमेल होता तो नुकसान को काफी कम किया जा सकता था। उस वक्त चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ पद बनाने का सुझाव दिया गया। हालांकि तब सेना के कुछ अधिकारियों ने इसको लेकर सवाल खड़े किए थे।

तब चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी का पद सृजित किया गया। हालांकि Chiefs of Staff Committee(CoSC) के चेयरमैन के पास कोई शक्ति नहीं होती थी, बस वह तीनों सेनाओं के बीच तालमेल करता है। फिलहाल एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयमैन हैं। बाद में चीफ ऑफ डिफेंस का स्थाई पद बनाने की मांग उठी। अब जाकर स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने इसका ऐलान किया है।

गौरतलब है कि चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी में सेना, नौसेना और वायुसेना प्रमुख रहते हैं। सबसे वरिष्ठ सदस्य को इसका चेयरमैन नियुक्त किया जाता है। यह रस्मी पद वरिष्ठतम सदस्य को रोटेशन के आधार पर रिटायरमेंट तक दिया जाता है। धनोआ 31 मई से सीओएससी के चेयरमैन बने हैं। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमेन के पास तीन सेनाओं के बीच तालमेल सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होती है। देश के सामने मौजूद बाहरी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए सामान्य रणनीति तैयार करने का दायित्व भी सीओएससी का ही होता है।

कनाडा, फ्रांस, गाम्बिया, घाना, इटली, नाइजीरिया, सिएरा लिओन, स्पेन, श्रीलंका और यूनाइटेड किंगडम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद है। जिन देशों में इस पद की व्यवस्था है, उनमें से ज्यादातर देशों में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ सर्वोच्च सैन्य पद होता है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का मुख्य सैन्य सलाहकार होता है। इसके अलावा सेना की विभिन्न शाखाओं के बीच तालमेल स्थापित करने की जिम्मेदारी भी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की होती है।

इसका फायदा क्या होगा?

इसका सबसे बड़ा फायदा युद्ध के समय होगा। युद्ध के समय तीनों सेनाओं के बीच प्रभावी समन्वय कायम किया जा सकेगा। इससे दुश्मनों का सक्षम तरीके से मुकाबला करने में मदद मिलेगी। दरअसल सशस्त्र बलों की परिचालनगत योजना में कई बार खामियां सामने आईं। 1962 में चीन के साथ भारत का युद्ध हुआ था। उस युद्ध में भारतीय वायुसेना को कोई भूमिका नहीं दी गई थी जबकि भारतीय वायुसेना तिब्बत की पठारी पर जमा हुए चीनी सैनिकों को निशाना बना सकती थी और उनके बीच तबाही मचा सकती थी। इसी तरह से पाकिस्तान के साथ 1965 के युद्ध में भारतीय नौसेना को पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हमले की योजना से अवगत नहीं कराया गया। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के रहते हुए इस तरह की कोई खामी नहीं रहेगी और सेना प्रभावी ढंग से दुश्मन से निपट सकेगी।

बता दें कि वर्ष 2012 में ‘नरेंद्र चंद्र टास्क फोर्स’ ने चीफ्स ऑफ स्टॉफ कमिटी के स्थायी प्रमुख का पद सृजित करने की अनुशंसा की थी। चीफ्स ऑफ स्टॉफ कमिटी में सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुख होते हैं तथा इनमें सबसे वरिष्ठ व्यक्ति इसका प्रमुख होता है।

देश में तीनों सेनाओं के अलग-अलग चीफ होते हैं। भारतीय सेना के सेनाध्यक्ष जनरल विपिन रावत हैं, जबकि एयर फोर्स के चीफ बीएस धनोआ हैं। वहीं, इंडियन नेवी की कमान एडमिरल करमबीर सिंह संभाल रहे हैं।

आपको ज्ञात होगा कि संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति तीनों सेनाओं के अध्यक्ष होते हैं जबकि तीनों सेनाओं का कामकाज रक्षा मंत्री देखते हैं। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ पर तीनों सेना प्रमुखों के बीच समन्वय कायम रखने की जिम्मेदारी होगी। बहरहाल,पीएम ने संबोधन के दौरान देश की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत बनाए रखने और आंतकवाद को उखाड़ फेंकने के लिए जरूरी उपायों पर बल दिया।

 

 

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