जुबिली न्यूज डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्र का कहना है कि जब 2016 में नोटबंदी हुई थी, उस वक्त भी पीएम मोदी 2000 का नोट लाने के पक्ष में नहीं थे, क्योंकि उन्हें लगता था कि रोजाना के लेन-देन के हिसाब से यह ठीक नहीं है।
बता दे कि वहीं नृपेंद्र मिश्र के इस बयान से कांग्रेस ने नाराजगी जाहिर की है और कहा है कि यह सिर्फ लीपापोती की कोशिश है। बता दें कि रिजर्व बैंक ने बीते शुक्रवार को नोटिफिकेशन जारी कर 2000 के नोट सर्कुलेशन से बाहर करने का निर्देश जारी किया है।
पूर्व सलाहकार के दावे से चिढ़ी कांग्रेस
प्रधानमंत्री के पूर्व प्रधान सचिव और वरिष्ठ अफसर रहे नृपेंद्र मिश्र के दावे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। जयराम रमेश ने ट्वीट कर लिखा कि ‘प्रधानमंत्री के पूर्व शीर्ष सहयोगी कह रहे हैं कि स्वघोषित विश्वगुरु ने नवंबर 2016 में ही 2000 के नोट का विरोध किया था। आगे वह कहेंगे कि नोटबंदी के लिए भी उनके सलाहकारों ने उन पर दबाव बनाया था। यह और कुछ नहीं बल्कि दयनीय तौर पर लीपापोती करने की कोशिश है।’
रिजर्व बैंक ने जारी किया था नोटिफिकेशन
बता दें कि रिजर्व बैंक ने 2000 के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। जिसके तहत 23 मई से 30 सितंबर तक दो हजार के नोट बैंकों से बदलवाए जा सकेंगे। एक बार में अधिकतर 10 नोट यानी कि कुल 20 हजार रुपए के नोट ही बदलवाए जा सकेंगे। रिजर्व बैंक ने कहा कि दो हजार के नोट की छपाई 2018-19 में ही बंद कर दी गई थी।
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