जुबिली न्यूज डेस्क
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में दो दिनों तक चली चर्चा के दौरान विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए तमाम मुद्दों का जवाब भी दिया. इसके साथ उन्होंने राहुल गांधी सहित विभिन्न विपक्षी नेताओं पर भी पलटवार किया.
तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल ये हैं कि तुम्हें यकीन नहीं
पीएम मोदी ने लोकसभा में कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘मैंने कई बार सुना है. यहां कुछ लोगों को हारवर्ड का बड़ा क्रेज है. कोरोनाकाल में ऐसा ही कहा गया था कि भारत की बर्बादी पर हारवर्ड में केस स्टडी होगी. और फिर कल सदन में हारवर्ड यूनिवर्सिटी में स्टडी की बात हुई, लेकिन बीते वर्षों में वहां एक बहुत बढ़िया और महत्वपूर्ण स्टडी हुई. उसका विषय था- द राइज एंड डिक्लाइन ऑफ इंडियाज कांग्रेस पार्टी (कांग्रेस का भारत में उत्थान और पतन). मुझे विश्वास है कि भविष्य में कांग्रेस की बर्बादी पर हारवर्ड नहीं, बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में अध्ययन होना ही होना है… और कांग्रेस को डुबाने वाले लोगों पर भी अध्ययन होने वाला है. मैं ऐसे लोगों के लिए दुष्यंत कुमार ने बहुत बढ़िया बात कही है. उन्होंने कहा है- तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं, कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं?’
ईडी ने इन लोगों को एक मंच पर ला दिया
पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत लोकतंत्र की जननी है. लोकतंत्र हमारी रगों में है. आलोचना होनी चाहिए, लेकिन इन्होंने नौ साल आरोप में गंवा दिए. चुनाव हार जाएं तो ईवीएम को दोष, भ्रष्टाचार की जांच हो तो एजेंसियों को गाली. इन्हें ईडी का धन्यवाद करना चाहिए कि उसने इन लोगों को एक मंच पर ला दिया है. जो काम देश के मतदाता नहीं कर पाए वह ईडी ने कर दिया.
2030 का दशक भारत का है
पीएम मोदी ने लोकसभा के अपने संबोधन में यूपीए सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘जब न्यूक्लियर डील पर बात हो रही थी, तब ये नोट फॉर वोट में उलझे थे.’ पीएम मोदी ने 2जी, कोल स्कैम का भी जिक्र किया और कहा कि घोटालों के कारण दुनिया में देश बदनाम हुआ. उन्होंने कहा कि ‘2004 से 2014 के दशक में देश का बहुत नुकसान हुआ. 2030 का दशक भारत का है. इनमें आतंक पर पलटवार करने का साहस नहीं था. देश के नागरिकों का 10 साल तक खून बहा.’
हर मौके को मुसीबत में पलट देना, यूपीए की पहचान बन गई
लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर जवाब देने के दौरान विपक्षी यूपीए पर प्रहार करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘2004-14 आजादी के इतिहास में सबसे खराब साल थे. यूपीए के वे 10 साल कश्मीर से कन्याकुमारी भारत के हर कोने में आतंकवादी हमलों का सिलसिला चलता रहा. हर नागरिक असुरक्षित था. 10 साल में कश्मीर से नॉर्थ ईस्ट तक हिंसा ही हिंसा फैला हुआ था. आज जब देश की क्षमता का परिचय हो रहा है, 140 करोड़ देशवासियों का सामर्थ खिलकर सामने आ रहा है, ये अवसर तो उस समय भी था. लेकिन 2004 से 14 तक यूपीए ने वह अवसर गंवा दिया. आज यूपीए की पहचान बन गई, हर मौके को मुसीबत में पलट देना.’
पीएम मोदी ने विपक्ष पर प्रहार करते हुए कहा, ‘ये निराशा भी ऐसे नहीं आई है, इसके पीछे कारण है एक तो जनता का हुक्म, बार-बार हुक्म लेकिन साथ-साथ इस निराशा के पीछे जो अंर्तमन में पड़ी हुई चीज है. जो चैन से सोने नहीं देती है. क्या है? पिछले 10 साल में 2014 के पहले 2004- 14 में भारत की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गई थी. 10 साल में महंगाई डबल डिजिट रही, इसलिए कुछ अगर अच्छा होता तो निराशा और उभरकर आती है.’
पीएम मोदी ने UPA सरकार के वक्त के घोटाले की दिलाई याद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस समय की UPA सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि हम सभी को याद है उस समय कॉमनवेल्थ गेम्स में किस तरह से घोटाला हुआ था। उन्होंने कहा कि 2G से लेकर हेलिकॉप्टर घोटाले किस तरह से सामने आए थे।
पीएम मोदी का विपक्ष पर हमला
पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत ने मेड इन इंडिया वैक्सीन बनाई और यही नहीं 150 देशो को जहां जरूरत थी, वहां पहुचाई जब विश्व वैश्विक महामारी से जूझ रहा था. देश बड़ी ताकत के साथ आगे बढ़ रहा हैं, पहले सर्टिफिकेट नहीं ले पाते थे आज मोबाइल पर वैक्सीन का सर्टिफिकेट मिल जाता हैं. भारत आज एक मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा हैं. निराशा में डूबे हुए लोग इस देश की प्रगति से उभर नहीं पा रहे हैं.’
डिजिटल इंडिया की चारों तरफ वाहवाही- लोकसभा में पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, ‘डिजिटल इंडिया की चारों तरफ वाहवाही हो रही थी. पूरे तरह इसे लेकर पूछ रहे थे. कोरोना काल में समृद्ध देश अपने नागिरकों को मदद करना चाहते थे. नोट छापते थे, लेकिन वो बांट नहीं पाए थे. लेकिन ये देश है कि एक मिनट में अपने लोगों को खाते में हजारों करोड़ भेज देता है. एक समय था कि तकनीक के लिए तरसता था. आज टेक्नॉलजी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है.’
पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति जी ने अभिभाषण में कहा था कि जो भारत कभी अपनी अधिकांश समस्याओं के समाधान के लिए दूसरों पर निर्भर था, वही आज दुनिया की समस्याओं के समाधान का माध्यम बन रहा है. उन्होंने अभिभाषण में यह भी कहा था कि जिन मूल सुविधाओं के लिए देश की बड़ी आबादी ने दशकों तक इंतजार किया, वह इन वर्षों में उसे मिली है. बड़े-बड़े घोटालों, सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की जिन समस्याओं से देश मुक्ति चाहता था, वह मुक्ति देश को अब मिल रही है. पॉलिसी पैरेलिसिस की चर्चा से बाहर आकर देश और देश की पहचान तेज की विकास और दूरगामी दृष्टि से लिए गए फैसलों से हो रही है.
पीएम मोदी ने कहा, ‘संकट के माहौल में देश को जैसे संभाला, पूरा देश आत्मविश्वास भरा हुआ है. चुनौती के बिना जीवन नहीं है. 140 करोड़ लोगों का सामर्थ्य चुनौती से भरा हुआ है. राष्ट्रपति देश की बहन बेटियों को प्रेरणा हैं. राष्ट्रपति ने आदिवासी समाज का गौरव बढ़ाया. आदिवासी समाज में गौरव की अनुभूति है. राष्ट्रपति का अभिभाषण संकल्प से सिद्धि तक की यात्रा का खाका है.
पीएम मोदी ने अपने अभिभाषण में पाकिस्तान का नाम लिए उसके हालात का जिक्र करते हुए कहा, ‘जब दुनिया में युद्ध से संकट है. अड़ोस पड़ोस में भी अर्थव्यवस्था का संकट है. ऐसे में भारत 5वें स्थान पर है. ऐसे में कौन हिंदुस्तानी गर्व नहीं करेगा. G20 की अध्यक्षता मिली, सभी भारतीयो को गर्व होगा. लेकिन मुझे अब लगता है कि 140 करोड़ लोगों में से ऐसे कौन लोग होंगे, जिन्हें इसका भी गर्व की जगह दुख है.
पीएम मोदी ने कहा, ‘यहां चर्चा में हर किसी ने अपने-अपने आकड़ें और तर्क दिए… अपनी रूचि, प्रवृति और प्रकृति के अनुसार अपनी बातें रखी और जब इन बातों को समझने का प्रयास करते हैं तो यह भी ध्यान में आता है कि किसकी कितनी क्षमता, योग्यता और इरादा है. देश इन सभी का मूल्यांकन करता है. यहां सबने अपनी रूची प्रवृत्ति के अनुसार यहा विचार रखे. सुनने पर पता चलता है किसकी कितनी समझ है और किसका क्या इरादा है.
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राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद देते हुए लोकसभा में पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘राष्ट्रपति का भाषण हो रहा था तो कुछ लोग कन्नी काट गए. जनजाति समुदाय के प्रति नफरत भी दिखाई दी है और हमारे जनजातीय समाज के प्रति उनकी सोच क्या है. ठीक है बाद में चिट्ठी लिखकर बचने की कोशिश की गई. जब मैं राष्ट्रपति के भाषण पर चर्चा सुन रहा था. तब मुझे लगा कि भाषण को मौन रहकर स्वीकर किया गया. राष्ट्रपति के भाषण के प्रति किसी को ऐतराज नहीं है.
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