जुबिली न्यूज डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लिया. उनके संबोधन के दौरान विपक्षी सांसद नारेबाजी करते रहे. विपक्षी सांसद वेल में आए और अडानी मुद्दे पर जेपीसी जांच की मांग को लेकर नारेबाजी की. राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उनके इस रवैये पर नाराजगी जताई.
मैं देश के लिए जीता हूं – PM मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में अपने भाषण के अंत में हंगामा और नारेबाजी कर रहे विपक्षी सांसदों पर कटाक्ष किया. उन्होंने विपक्षी बेंच की तरफ देखकर अपना सीना ठोका और कहा कि आज देश देख रहा है, एक अकेला कितनों पर भारी पड़ रहा. मैं देश के लिए जीता हूं, देश के लिए कुछ करने को निकला हूं.
आर्टिकल 356 का 50 पर प्रयोग किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा में कहा, जो लोग आज विपक्ष में बैठे हैं उन्होंने अतीत में राज्यों के अधिकारों की घज्जियां उड़ाई हैं. मैं आज इनका कच्चा-चिट्ठा खोलना चाहता हूं. कौन वे लोग थे, जिन्होंने आर्टिकल 356 का सर्वाधिक दुरुपयोग किया? वे लोग कौन हैं, जिन्होंने यह किया और चुनी हुई सरकारों को गिरा दिया.
एक प्रधानमंत्री ने तो अपने कार्यकाल के दौरान आर्टिकल 356 का 50 पर प्रयोग किया, उनका नाम है इंदिरा गांधी. केरल में वामपंथी सरकार चुनी गई, जिसको पंडित नेहरू पसंद नहीं करते थे. कुछ ही दिनों में चुनी हुई सरकार को गिरा दिया. डीएमके के मित्रों को भी बताता हूं. तमिलनाडु में भी एमजीआर और करुणानिधि जैसे दिग्गजों की कई सरकारों को कांग्रेस वालों ने ही गिराया था. एमजीआर की आत्मा देखती होगी, आज आप कहां खड़े हो.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, यह देश किसी परिवार की जागीर नहीं है. यह जन-जन की पीढ़ियों से बना देश है. हमने मेजर ध्यान चंद्र के नाम पर खेल खत्न का नाम रख दिया. हमें गर्व है. जो लोग आए दिन हमारे देश की सेना को नीचा दिखाने का मौका नहीं छोड़ते, हमने 21 द्वीपों के नाम परमवीर चक्र पाने वाले वीरों के नाम पर रख दिया.
नेहरू सरनेम रखने में शर्मिंदगी होती है क्या- PM मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि हमारी योजनाओं के नामों पर सवाल उठाए जाते हैं. अगर किसी कार्यक्रम में नेहरू जी का नाम हमने नहीं लिया तो कांग्रेस के लोगों का खून खौल जाता है. मैंने कहीं पढ़ा है, मैं इसको वेरिफाई नहीं करता, लेकिन ऐसा पढ़ा है कि देश में आज भी 600 से अधिक योजनाओं के नाम गांधी और नेहरू परिवार के सदस्यों के नाम पर हैं. हम पर सवाल उठाते हो, लेकिन खुद नेहरू सरनेम रखने में शर्मिंदगी महसूस होती है क्या? इतने महान आदमी के नाम को अपना सरनेम बनाने में क्या दिक्कत है.