पॉलिटिकल डेस्क।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बोलते हैं तो उनके समर्थक उत्साह और जोश से लबरेज नजर आते हैं। उनके भाषणों पर तालियां बजने लगती हैं। ‘भारत माता की जय’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगने लगते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि मानो मोदी जी की जुबान से निकला हर एक शब्द राष्ट्रवाद का घोतक है। इसकी एक वजह है, वह यह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कम्युनिकेशन के सिद्धांतों को भलीभांति समझते हैं और हमेशा मौके की नजाकत को समझते हुए बड़ी ही चतुराई से अपनी विचारधारा को अपने सन्देश के माध्यम से संप्रेषित कर जाते हैं।
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जी हाँ, एकबार फिर राज्यसभा में पीएम मोदी की वाकपटुता का उदहारण देखने को मिला। यहां राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद पीएम मोदी ने सदन को संबोधित करते हुए झारखंड में हुई मॉब लिंचिंग की घटना पर अपने विचार रखे। इस दौरान पीएम मोदी ने तबरेज़ अंसारी नाम के युवक की हत्या पर दुःख तो जताया लेकिन बड़ी ही खूबसूरती से वह यहां भी अपने समर्थकों का पक्ष लेते हुए नजर आए।
पीएम मोदी ने कहा कि, ”युवक की हत्या का दुख सबको है, और होना भी चाहिए, लेकिन इस एक घटना के लिए पूरे झारखंड को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।”
जाहिर सी बात है कि उनके इस बयान से झारखण्ड की जनता खुश होगी और उसके मन में विपक्ष के लिए आक्रोश भी जगेगा।
मोदी ने मॉब लिंचिंग की इस घटना पर विपक्ष को नसीहत देते हुए कहा, “हिंसा की घटनाओं को लेकर हमारा एक ही मापदंड है, चाहें वो कहीं हो पश्चिम बंगाल में हो या केरल में। देश के हर नागरिक की सुरक्षा की गारंटी हमारी संवैधानिक जिम्मेदारी है।”
उन्होंने अपने इस बयान से ममता बनर्जी को कटघरे में खड़ा कर दिया। साथ ही पश्चिम बंगाल में आरएसएस और बीजेपी के कार्यकर्ताओं की हत्या की ओर इशारा करते हुए अपने हिंदुत्व के एजेंडे को भी समर्थन दिया।
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मोदी ने झारखण्ड में हुई तबरेज़ अंसारी की हत्या पर दुःख तो जताया लेकिन पश्चिम बंगाल का जिक्र करके और झारखंड के आम नागरिकों को सज्जन बताकर अपने विरोधियों पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने इस तरह की घटनाओं के लिए सरकार की गलती स्वीकार करने की बजाय राज्य सरकारों और विपक्ष की भूमिका पर प्रहार कर डाला।