न्यूज डेस्क
लोकसभा चुनाव के बाद दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी अपनी पहली यात्रा पर केरल पहुंचे हैं। इस दौरान पीएम मोदी केरल के थ्रिसूर जिले के प्रसिद्ध गुरुवायूर मंदिर का दर्शन किया।
PM @narendramodi offering prayers at #GuruvayurTemple in Kerala. pic.twitter.com/lEWEEBeNwC
— PIB India (@PIB_India) June 8, 2019
इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पारंपरिक परिधान में गुरुवायुर मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्हें थुलाभारम रस्म के तहत मंदिर में कमल के फूलों से तौला गया है। इसके लिए 112 किलो कमल के फूलों का इस्तेमाल किया गया।
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी ने 2008 में गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए इस मंदिर में पूजा-अर्चना की थी। तब भी उन्होंने थुलाभारम रस्म अदा की थी।
गर्भगृह में श्रीकृष्ण की मूर्ति
बता दें कि गुरुवायूर मंदिर काफी पुराना है। मंदिर के गर्भगृह में श्रीकृष्ण की मूर्ति है। मंदिर में दर्शन और जनसभा को संबोधित करने के बाद मोदी कोचि अंतरराष्ट्रीय हावई अड्डे से दिल्ली के लिए दोपहर 2 बजे रवाना हो जाएंगे। इसके बाद पीएम मोदी आज ही मालदीव और श्रीलंका यात्रा के लिए रवाना हो जाएंगे।
Hon. PM Shri @narendramodi ji to offer prayers at #Guruvayoor Sree Krishna Temple on June 8.
Public meet at Guruvayoor Sree Krishna HS Ground at 10:00 am.
All are Welcome. pic.twitter.com/SJjDSRRTSd
— BJP KERALAM (@BJP4Keralam) June 6, 2019
बीजेपी की प्रदेश इकाई ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आठ जून को गुरुवायुर श्रीकृष्ण मंदिर में पूजा करेंगे। गुरुवायूर श्रीकृष्ण एचएस मैदान में सुबह आम सभा होगी। सभी का स्वागत है।
5000 साल पुराना है मंदिर
गुरुवायुर मंदिर 5000 साल पुराना है और 1638 में इसके कुछ भाग का पुनर्निमाण किया गया था। इस मंदिर में केवल हिंदू ही पूजा कर सकते हैं। दूसरे धर्मों के लोगों के अंदर प्रवेश पर रोक है।
दक्षिण भारत का द्वारका
गुरुवायूर मंदिर में भगवान गुरुवायुरुप्पन की पूजा होती है। गुरुवायुरुप्पन को भगवान विष्णु का ही रूप माना जाता है। इसी वजह से इस मंदिर को गुरुवायूर श्रीकृष्ण मंदिर भी कहते हैं। केरल के इस पवित्र स्थान को दक्षिण भारत का द्वारका भी कहा जाता है, जहां कृष्ण का जन्म हुआ था।
गुरुवायूर मंदिर देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में शुमार है। इस मंदिर का इतिहास करीब 5000 साल पुराना है। मंदिर में रहने वाले पुजारी को मेंसाती कहते हैं, जो कि 24 घंटे भगवान की सेवा में रहते हैं।
खास ड्रेस कोड
गुरुवायूर मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक खास ड्रेस कोड भी बनाया गया है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं को मुंडु नाम की पोशाक पहननी पहननी पड़ती है। जबकि बच्चों को वेष्टी पहनाई जाती है। इसके अलावा औरतों को सिर्फ सूट-सलवार या साड़ी में ही एंट्री मिल सकती है।
दूसरे धर्म के व्यक्ति के घुसने पर सख्त पाबंदी
आपको जानकर शायद हैरानी होगी, लेकिन मंदिर में सिर्फ हिंदू धर्म के लोगों को ही जाने की इजाजत है। दूसरे धर्म के किसी भी व्यक्ति के लिए मंदिर परिसर में घुसने पर सख्त पाबंदी लगाई गई है.गुरुवायूर में भगवान के दर्शन करने के बाद श्रद्धालुओं को नजदीकी अनाकोट्टा नामक स्थान पर भी जाना पड़ता है. यह जगह हाथियों के लिए काफी लोकप्रिय है. गुरुवायूर मंदिर से जुड़े हाथियों को यहां 10 एकड़ जगह में रखा जाता है. यहां लगभग 80 हाथियों के रहने की व्यवस्था की गई है.