न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश के मऊ की घोसी विधानसभा से विधायक फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सबको चौका दिया। लेकिन हमेशा एक कदम आगे की सोचने वाले पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी के इस अप्रत्याशित के पीछे भी बड़ी रणनीति है।
फागू चौहान को बिहार का राज्यपाल बनाकर बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। उनकी ताजपोशी के पीछे दूरदर्शिता और सोची-समझी रणनीति है। उनकी तैनाती के जरिये जहां बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर बीजेपी की नजर होगी, वहीं पूर्वांचल में भी पिछड़ों को साधने की मुहिम को आगे बढ़ाने का इरादा है।
बिहार राजनीति में जातियों की लड़ाई की एक अद्भुत प्रयोगशाला रहा है। खासतौर पर वहां की सियासत में पिछड़ी जातियों की अहम भूमिका रही है। बिहार से ही सटा पूर्वांचल है। पूर्वांचल के कई जिलों में पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखने वाले लोनिया चौहान बिरादरी की अच्छी खासी आबादी है। फागू भी इसी बिरादरी से ताल्लुक रखते हैं।
अगले वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। खत्री बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले लालजी टंडन की वहां इस लिहाज से सीमित उपयोगिता है। ऐसे में पिछड़ा वर्ग के एक व्यक्ति को बिहार राजभवन की बागडोर सौंपकर बीजेपी की ओर से पिछड़ी जातियों को एक सशक्त संदेश देने की कोशिश की गई है।
बीजेपी के लिए यह इसलिए भी जरूरी था क्योंकि सत्रहवीं लोकसभा के चुनाव में उसे घोसी, आजमगढ़, जौनपुर, गाजीपुर समेत पूर्वांचल की कई सीटों पर झटका लगा। फागू पूर्वांचल में लोनिया चौहान बिरादरी के सबसे बड़े चेहरे के तौर पर जाने जाते हैं।
इसी वजह से उन्हें यूपी राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था। अब उन्हें पड़ोसी राज्य का राज्यपाल बनाकर पूर्वी यूपी में उपेक्षित एक पिछड़ी जाति को महत्व देने के साथ बीजेपी ने पूर्वांचल में पिछड़ों पर अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास किया है।
एक और नजरिये से देखें तो यह निर्णय पिछड़ी जातियों को सिलसिलेवार तरीके से अपने पाले में करने की बीजेपी की मुहिम की एक और कड़ी है। वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह को पूर्व में मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने कभी पिछड़ों में शामिल लोध जाति को अपने पाले में किया था।
उसके बाद विनय कटियार, ओम प्रकाश सिंह जैसे नेताओं को महत्व देकर उसने कुर्मी बिरादरी को तवज्जो दी। पिछले विधानसभा चुनाव से पहले मौर्य बिरादरी के केशव प्रसाद मौर्य को पहले बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और फिर उप मुख्यमंत्री बनाकर उसने इस जाति से रिश्ते मजबूत किये।
हाल ही में कुर्मी बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले स्वतंत्र देव सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उसने पूर्वांचल और बुंदेलखंड में पिछड़ों को साधने का काम किया। अब राज्यपाल पद पर फागू की नियुक्ति से पिछड़ों को और अहमियत दी गई है।