जुबिली न्यूज़ डेस्क
पश्चिम बंगाल के बीरभूम में स्थित विश्वभारती विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह आज मनाया गया। इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल तरीके से शिरकत की। इस दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी इस समारोह में शामिल हुए। बता दें कि पीएम मोदी इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति हैं।
दीक्षांत समारोह में शामिल होने के दौरान पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि इस दीक्षांत समारोह में भाग लेना प्रेरणादायक और आनंदमय है। उन्होंने कहा कि अच्छा होता अगर मैं इस समारोह में हिस्सा लेने के लिए वहां आ पाता। लेकिन नए नियमों की वजह से इस कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग ले रहा हूं।
अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि ‘गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने जो अद्भुत धरोहर मां भारती को सौंपी हैं, उसका हिस्सा बनना, आप सभी के जुड़ना, मेरे लिए प्रेरक के साथ आनंददायक भी है। और इस बार मुझे ये मौका दो बार मिला। आपके जीवन के इस महत्वपूर्ण अवसर पर आप सभी युवा साथियों को, माता पिता को और गुरुजनों को मेरी ओर से बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।’
उन्होंने कहा कि, ‘आप लोग सिर्फ एक विश्वविद्यालय का ही हिस्सा ही नहीं हैं, बल्कि एक जीवंत परंपरा का हिस्सा भी हैं। गुरुदेव अगर विश्व भारती को सिर्फ एक यूनिवर्सिटी के रूप में देखना चाहते, तो वो इसे ग्लोबल यूनिवर्सिटी या कोई भी नाम दे सकते थे, लेकिन उन्होंने इसे विश्व भारती विश्वविद्यालय नाम दिया।’
गुरुदेव टैगोर के लिए ये सिर्फ ज्ञान देने वाली एक संस्था मात्र ही नहीं थी। उनके लिए ये एक प्रयास है भारतीय संस्कृति के शीर्षस्थ लक्ष्य तक पहुंचने का। वे कहते थे, हे श्रमिक साथियों, जानकार साथियों, हे समाजसेवियों, हे संतों, समाज के सभी जागरूक लोगों।आइये समाज की मुक्ति के लिए हम सब मिलकर प्रयास करें।’
पीएम ने कहा, ‘जिस प्रकार सत्ता में रहने के लिए संयम और संवेदनशील रहना पड़ता है, उसी प्रकार सभी विद्वान को, सभी जानकार को भी उनके प्रति जिम्मेदार रहना पड़ता है जिनके पास वो शक्ति है।आपका ज्ञान सिर्फ आपका नहीं, बल्कि समाज की, देश की हर एक भावी पीढ़ियों का भी वो धरोहर है। आपका ज्ञान एक समाज, एक राष्ट्र को गौरवान्वित भी कर सकता है।’
‘सफलता और असफलता हमारे वर्तमान और भविष्य को तय नहीं करती है। हो सकता है आपको किसी फैसले के बाद जैसा सोचा था वैसा परिणाम न मिले, लेकिन आपको फैसला लेने में नहीं डरना चाहिए।’
यही नहीं पीएम ने कहा कि, ‘गुरुदेव ने विश्वभारती में जो व्यवस्थाएं विकसित कीं, जो पद्धतियां विकसित कीं, वो भारत की शिक्षा व्यवस्था को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त करने, उन्हें आधुनिक बनाने का एक जरिया थीं।
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उन्होंने कहा कि हाल ही में सरकार ने देश और दुनिया के लाखों जर्नल्स की फ्री एक्सेस अपने स्कॉलर्स को देने का फैसला किया है।इस साल बजट में भी रिसर्च के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से आने वाले 5 साल में 50 हज़ार करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव रखा है।’
इसके अलावा पीएम ने कहा कि विश्व भारती को देश की शिक्षा संस्थाओं का नेतृत्व करना चाहिए। मेरा आग्रह है, अगले 25 वर्षों के लिए विश्व भारती के विद्यार्थी मिलकर एक विजन डॉक्यूमेंट को बनाएं। वर्ष 2047 में, जब भारत अपनी आजादी के 100 वर्ष का समारोह मनाये, उस समय विश्व भारती के 25 सबसे बड़े लक्ष्य क्या होंगे, उनके इस लक्ष्य को विजन डॉक्यूमेंट में रखा जा सके।’