न्यूज डेस्क
कमीशनखोरी, फ्लैट और प्लॉट घोटालों के बाद अब लखनऊ विकास प्राधिकरण का नया कारनामा सामने आया है। सीतापुर रोड स्थित प्रियदर्शिनी योजना में प्लॉटों के आवंटन में फर्जीवाड़ा का खुलासा हुआ है।
इसमें अधिकारियों की मिलभगत से ऐसे लोगों को प्लॉट आवंटित किए गए, जिनका नाम लॉटरी लिस्ट में था ही नहीं। इसके अलावा आवंटन की फाइल भी एलडीए के पास नहीं है।
खास बात यह है कि जिनको मूल आवंटी बनाया गया है उनकी तरफ से दिखाए गए आवंटन पत्र में 30 फरवरी 1992 की तारीख दर्ज है। अब सवाल यह है कि फरवरी 28 दिन की होती हैं, तो 30 की कैसे हो गई। आवंटन में गड़बड़ियों को देखते हुए जांच समिति गठित कर दी गई है।
जांच समिति गठित
जानकारी के अनुसार, एलडीए में हुए इस फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद नजूल अधिकारी पंकज कुमार की अध्यक्षता में 4 अप्रैल को जांच समिति गठित की गई है।
इसमें डिप्टी सीए मुकेश अग्रवाल, अधिशासी अभियंता पीएस मिश्र और नगर नियोजक टीपी सिंह को शामिल किया गया है। संयोजक तहसीलदार राजेश कुमार शुक्ला को बनाया गया है।
वहीं, एलडीए अधिकारियों के अनुसार, प्रियदर्शिनी योजना में 14 आवंटियों को नबीउल्लाह रोड योजना का विस्थापित बताते हुए आवंटन पत्र दिया गया था।
हालांकि, विवाद के कारण प्लॉट पर कब्जा नहीं दिया जा सका जिससे उपभोक्ताओं ने प्लॉट पर कब्जे के लिए उपभोक्ता फोरम में अपील की थी। सुनवाई के दौरान एलडीए से जवाब मांगा गया। इसके बाद एलडीए ने मामले की शुरुआती जांच करवाई। इसमें प्रियदर्शिनी योजना में हुए आवंटन सवालों के घेरे में आ गई।
किसी आवंटी का नहीं मिला ब्योरा
एलडीए की जांच रिपोर्ट के मुताबिक नबीउल्लाह रोड के विस्थापितों को प्रियदर्शिनी योजना में समायोजित किया गया, लेकिन किसी भी आवंटी का ब्योरा एलडीए में नहीं मिला। इसके बाद प्लॉटों पर दावा करने वालों से आवंटन पत्र मांगे। इनमें 30 फरवरी 1992 की तारीख पाई गई।
इसके अलावा समायोजित किए गए प्लॉटों का मानचित्र और ले-आउट तक एलडीए के नियोजन विभाग के पास नहीं मिला। इसके बाद जोन चार के इंजिनियरों से प्लॉटों की रिपोर्ट मांगी लेकिन उसका भौतिक सत्यापन नहीं हो सका। वहीं, जांच अधिकारियों ने बड़ी गड़बड़ी और दस्तावेजों को फर्जी मानते हुए रिपोर्ट सीनियर अधिकारियों को सौंप दी है।
पहले भी हुए है फर्जीवाड़े
एलडीए में इस तरह के फर्जीवाड़े पहले भी होते रहे है लेकिन अधिकारियों ने इस पर कोई सज्ञान नहीं लिया। इससे पहले गोमती नगर, जानकीपुरम व सीतापुर रोड योजना और कानपुर रोड योजना में करीब 500 भूखंडों के समायोजन में घोटाला किया गया।
इस मामले में एलडीए का चर्चित बाबू ओझा पकड़ा भी गया और उस पर कार्रवाई भी हुई। ओझा की तरह और भी हैं जिन पर कार्रवाई हो सकती।