जुबिली न्यूज डेस्क
बाबा रामदेव पर सरकार से लेकर बैंक हर कोई मेहरबान है। बाबा रामदेव का साम्राज्य जितनी तेजी से बढ़ा है उसमें सरकार से लेकर बैंकों का बड़ा हाथ है। ऐसा आरोप बाबा रामदेव पर अक्सर लगता रहा है।
ऐसा ही आरोप जाने-माने अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने लगाया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि ‘746 करोड़ रुपये में से जीरो रिकवरी और राइट ऑफ के बाद भी स्टेट बैंक ने रुचि सोया को खरीदने के लिए पतंजलि को 1,200 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। निश्चित तौर पर साथियों के लिए अच्छे दिन आए हैं।’
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दरसअल प्रशांत भूषण ने जो आंकड़ा पेश किया है वह भारतीय स्टेट बैंक ने खुद अपने एक शेयरहोल्डर को दी है। एसबीआई ने बताया है कि उसने रुचि सोया इंडस्ट्रीज पर 746 करोड़ रुपये के बकाये को राइट ऑफ कर दिया है। बैंक की ओर से फाइनेंशियल ईयर 2019-20 में यह राइट ऑफ किया गया है।
खुद एसबीआई ने माना है कि इस लोन पर वह एक रुपये की भी वसूली नहीं कर सका है। इससे पहले इन्सॉल्वेंसी ऐंड बैकरप्सी कोड के तहत मंजूर प्लान के जरिए एसबीआई को 883 करोड़ रुपये की वसूली करनी थी। एक तरफ बैंक ने रुचि सोया पर बकाये लोन की वसूली नहीं की और दूसरी तरफ उसी कंपनी के अधिग्रहण के लिए बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को 1,200 करोड़ रुपये का लोन दिया है।
मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने वेबसाइट moneylife.in की खबर को ट्विटर पर शेयर करते हुए तंज कसा है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है-‘746 करोड़ रुपये में से जीरो रिकवरी और राइट ऑफ के बाद भी स्टेट बैंक ने रुचि सोया को खरीदने के लिए पतंजलि को 1,200 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। निश्चित तौर पर साथियों के लिए अच्छे दिन आए हैं।’ इसके आगे उन्होंने लिखा, ‘यह सिर्फ पब्लिक का पैसा है, इसमें हमारे साथियों पर खर्च क्यों नहीं किया जाना चाहिए?’
State Bank Lends Rs1,200 Crore to Patanjali to buy Ruchi Soya, Despite Zero recovery and Rs746 Crore Write Off. Acche Din have certainly come for cronies.
“It is only public money. Why should it not be used for our cronies?”https://t.co/tfPJoJ5t6q— Prashant Bhushan (@pbhushan1) July 30, 2020
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों के कंसोर्टियम ने बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को रुचि सोया के अधिग्रहण के लिए कुल 3,200 करोड़ रुपये का कर्ज दिया है। इसमें सबसे ज्यादा एसबीआई ने 1,200 करोड़ रुपये की रकम कर्ज के तौर पर दी है। इसके अलावा 700 करोड़ रुपये पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 600 करोड़ रुपये, सिंडिकेट बैंक से 400 करोड़़ और इलाहाबाद बैंक से 300 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
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मालूम हो कि रुचि सोया पर कई बैंकों का कुल 12,146 करोड़ रुपये बकाया था। बैंकरप्सी कोर्ट के समक्ष एसबीआई के नेतृत्व में बैंकों ने इसके लिए क्लेम किया था। एसबीआई का सबसे ज्यादा 1,800 करोड़ रुपये बकाया था, लेकिन एसबीआई ने 883 करोड़ रुपये वसूलने की बात कही थी।
दूसरे नंबर पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का 816 करोड़ रुपये, पीएनबी का 743 करोड़, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक इंडिया का 608 करोड़ रुपये और डीबीएस का 243 करोड़ रुपये बकाया था। भारतीय स्टेट बैंक की ओर से बैंक के शेयरहोल्डर और पुणे स्थित सजग नागरिक मंच के प्रेसिडेंट विवेक वेलांकर से कुछ़ दस्तावेज शेयर किए गए हैं। इन दस्तावेजों के मुताबिक बैंक ने रुचि सोया से मार्च, 2020 तक कोई रिकवरी नहीं की है।