जुबिली स्पेशल डेस्क
राजस्थान में इस साल चुनाव होना है लेकिन कांग्रेस के लिए वहां पर स्थिति आसान नहीं होने जा रही है। राजस्थान चुनाव के इतिहास पर गौर करें तो यहां पर हर पांच साल बाद सत्ता बदल जाती है।
ऐसे में कांग्रेस को अपनी सत्ता बचाना काफी बड़ी चुनौती है। इसके आलावा गहलोत और सचिन पायलट के रिश्तों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। दोनों एक दूसरे के खिलाफ नजर आ रहे हैं।
हालांकि कांग्रेस पंजाब की तरह यहां पर भी वक्त रहते मामले को सुलझाना चाहती है लेकिन ये आसान नहीं है। दरअसल पायलट गुट चाहता है कि सचिन पायलट को कांग्रेस में अहम जिम्मेदारी दी जाए।
राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच मचा घमासान भले ही इस वक्त थमता हुआ नजर आ रहा हो लेकिन दोनों नेता अपनी तरफ से शक्ति प्रदर्शन करने से चूक नहीं रहे हैं।
हाल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।अब एक बार फिर दोनों नेताओं के बीच मतभेद खुलकर सामने आ गया है। दरअसल सचिन पायलट के एक कदम से गहलोत की काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। सचिन पायलट पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के खिलाफ भष्टाचार की जांच की मांग को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन भी किया है ।
अब एक और खबर सामने आ रही है जिसके बाद ये समझा जा सकता है कि राजस्थान में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल सोमवार को राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आगामी चुनाव की रणनीति बनाने को लेकर सभी शीर्ष नेताओं की वन-टू-वन बैठक बुलाई थी।
इस बैठक में सचिन पायलट मौजूद नहीं थे। बताया जा रहा है कि सचिन पायलट अपने क्षेत्र में मतदाताओं के बीच थे लेकिन उनके न शामिल होने से कयासों का दौर भी शुरू हो गया है।