जुबिली न्यूज डेस्क
पिछले काफी समय से पेट्रोल-डीजल की कीमतों की वजह से मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर हैं। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत की वजह से लोग परेशान है। सोशल मीडिया पर तरह-तरह के मीम्स और वीडियो शेयर किए जा रहे हैं।
सरकार को भलीभांति इसका अंदाजा है कि आम लोगों के मन में पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर असंतोष पनप रहा है। लोगों की नाराजगी चुनाव में भाजपा को भारी पड़ सकती है इसलिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रोजाना होने वाली बढ़ोतरी रोक दी गई हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार के जुड़े अफसरों ने कहा कि लगता है कि केंद्र ने अनौपचारिक तौर पर तेल कंपनियों को कहा है कि कुछ समय के लिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों बढ़ोतरी को टाल दिया जाए।
रिपोर्ट के अनुसार राजनीतिक दबाव के चलते ही तेल कंपनियों ने रोजाना की जाने वाली बढ़ोतरी पर फिलहाल अंकुश लगा दिया है। इसकी वजह से कुछ समय से पेट्रोल-डीजल की कीमत नहीं बढ़ी है।
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पिछले कुछ महीनों से जिस तरह रोजाना तेल के दाम बढ़े हैं उससे आम लोगों के मन में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी है।
हालांकि, कुछ राज्य सरकारों ने अपने टैक्स में कमी करके लोगों के असंतोष को कम करने की कोशिश की, लेकिन जो टैक्स कम हुआ वह ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है।
मंगलवार को देश की राजधानी दिल्ली में पेट्रोल का दाम 91.17 रुपये जबकि डीजल का दाम 81.47 रुपये प्रति लीटर रहा। वहीं देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में पेट्रोल की कीमत 97.57 रुपये व डीजल की कीमत 88.60 रुपये प्रति लीटर है।
मालूम हो तेल कंपनियां रोजाना सुबह छह बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव करती हैं। पेट्रोल व डीजल के दाम में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चार्ज जोडऩे के बाद तेल का दाम लगभग दोगुना हो जाता है। इन्हीं मानकों के आधार पर पर पेट्रोल रेट और डीजल रेट रोज तय करने का काम तेल कंपनियां करती हैं।
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मालूम हो कि तेल की कीमतों को लेकर कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखा था। सोनिया ने सरकार को राजधर्म की याद दिलाकर तेल के दामों में तत्काल कमी करने को कहा था।
उधर, पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसके लिए तेल उत्पादक देशों को जिम्मेदार ठहराया था। प्रधान ने कहा कि कच्चा तेल महंगा होने के साथ ही हम कीमतों को लेकर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उनका कहना था कि तेल कीमतों में बढ़ोतरी के लिए कोरोना संकट भी जिम्मेदार है।