न्यूज डेस्क
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव सहित चार विधायकों के सरकारी बंगले आवंटित किए जाने के मामले में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राज्य सरकार को जवाब तलब किया है। अब उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले का इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में सरकार ने बचाव किया है।
कोर्ट में न्यायमूर्ति पंकज कुमार जायसवाल और न्यायमूर्ति आलोक माथुर की बेंच ने यह आदेश वकील मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर दिया। बता दें शिवपाल सहित जिन चार विधयाकों के नाम हैं उनमे नॉएडा से विधायक पंकज सिंह, नीरज वोरा व एमएलसी आशीष पटेल हैं।
इस मामले पर अदालत ने आदेश देकर मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है। याचिका में राज्य सरकार के जरिए राज्य सम्पत्ति विभाग के प्रमुख सचिव, राज्य सम्पत्ति अधिकारी समेत इन चारों विधायकों को पक्षकार बनाया गया है।
गौरतलब है कि अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने याचिका में कहा था नियमों की अनदेखी कर राजनीतिक वजहों से इन चार विधायकों को बड़े बंगले आवंटित किए गए हैं। इसमें जसवंत नगर से विधायक शिवपाल यादव को बंगला नंबर 6 लाल बहादुर शास्त्री मार्ग, आवंटित किया गया है जो पहले पूर्व मुख्यमंत्री मायावती को आवंटित था।
वहीं, बंगला नंबर 1ए मॉल एवेन्यू विधान परिषद सदस्य आशीष पटेल को आवंटित किया गया है। जोकि पहले पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी को आवंटित था। साथ ही बंगला नंबर ए 4 दिलकुशा कॉलोनी और ए 6 दिलकुशा कॉलोनी पंकज सिंह को और नीरज वोरा को आवंटित किया गया है।
ये दलील पेश की थी याचिका कर्ता ने
याचिका कर्ता ने अपनी दलील में कहा था कि ये सभी लोग मात्र विधायक है, इसलिए नियम के अनुसार, टाइप छह के उक्त बंगले इन्हें नहीं आवंटित किए जा सकते। इन सभी बंगलों के आवंटन को रद् किए जाना चाहिए। इसके अलावा दायर की गई याचिका में बंगलों के आवंटन में नियमों का पूर्णतया पालन कराए जाने की भी गुजारिश की गई है।
वहीं, इस मामले में सरकारी वकील का कहना था कि वर्ष 2016 के सरकारी आवासों को देने से संबंधित सभी अधिनियम और नियमों के अनुसार ही इन चारों विधायकों को बंगलों का आवंटन किया गया। इसमें कोई भी अवैधानिकता नहीं है।
इस मामले पर अदालत ने आदेश देकर मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद तय की है। याचिका में राज्य सरकार के जरिए राज्य सम्पत्ति विभाग के प्रमुख सचिव, राज्य सम्पत्ति अधिकारी समेत इन चारों विधायकों को पक्षकार बनाया गया है।