जुबिली न्यूज डेस्क
जल ही जीवन है आपने सुना होगा क्या कभी ऐसा सुना है जल ने ली जान…जी हां ये सच है….उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले से एक ऐसा ही मामला सामने आया है. यहां साफ पानी न मिलने वजह से करीब 300 गांव की आबादी प्रभावित हो रही है. इस गांव में बूढ़े जवान बच्चे सभी बेसमय काल के गाल में समा रहे हैं. उनके शरीर का विकास तो दूर शरीर गल रहा है. हैरान करने वाली बात ये है कि उनकी समस्या को सुनने वाला कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी नहीं है, सालों से इस गांव का विकास नहीं हो रहा है.
जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर यह गांव देखने में तो बहुत ही खूबसूरत है, लेकिन यहां के लोग क्लोराइड युक्त दुषित पानी पीने से फ्लोरोसिस नमक बीमारी से ग्रसित हैं. इनके शरीर की हड्डियां टेढ़ी हो रही हैं दांत गल रहे हैं. बच्चों का मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है. शरीर का विकास तो दूर शरीर भी गल रहा है. थक हार कर यह कुछ कर भी नहीं पा रहे हैं. चलना तो दूर यह बैठ भी नहीं पा रहे हैं, लेटने के अलावा उनके पास और कोई चारा भी नहीं है. इन्हें लेट कर ही अपनी बात या अपना काम करना होता है.
कोई इनकी अवाज सुनने वाला नहीं है
ग्रामीणों का एक बड़ा आरोप है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर तक नहीं हैं. इलाज के नाम पर सिर्फ दर्द की दवा दी जाती है. 5 साल से ना यहां डीएम आए और ना सांसद और ना ही विधायक. सिर्फ चुनाव में वोट मांगने के लिए आते हैं. जिले के बभनी, म्योरपुर, दुद्धि और को क्षेत्र के 2 लाख से अधिक की आबादी ज्यादा प्रभावित है.
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नमामि गंगे परियोजना के अपर जिलाधिकारी रोहित यादव ने कहा कि क्लोराइड प्रभावित गांवों में शुद्ध पेयजल पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन के तहत पाइपलाइन बिछाकर घरों को पानी की आपूर्ति व्यवस्था कराई जा रही है. जैसे कोन क्षेत्र में हर्रा पेयजल परियोजना, म्योरपुर में झीलों बीजपुर परियोजनाएं संचालित हैं. जिन इलाकों में किन्ही कारणों से पानी नहीं पहुंच रहा, उसकी नियमित समीक्षा कर समस्या दूर कराई जा रही है. जल्द ही इन क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा