जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस को आए 10 माह होने को है पर आज भी यह रहस्यमयी बना हुआ है। दुनिया भर के वैज्ञानिक कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहे है और आए दिन इसको लेकर कोई न कोई खुलासा हो रहा है।
अब एक नये अध्ययन में खुलासा हुआ है कि ब्लड ग्रुप टाइप से भी कोरोना संक्रमण के खतरे का संबंध है।
अध्ययन में में खुलासा हुआ है कि ब्लड ग्रुप ओ (O)वाले लोगों को कोरोना संक्रमण से कम खतरा है। हालांकि वैज्ञानिकों ने अभी इस बात की पुष्टि के लिए आगे और रिसर्च किए जाने की बात कही है।
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अध्यनन में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग कोरोना से पॉजिटिव पाए गए उनमें ब्लड ग्रुप ओ (O) वाले लोग बेहद कम थे।
कोरोना संक्रमित में लोगों में ब्लड ग्रुप A, B और AB वाले लोगों की संख्या ज्यादा थी।
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अध्ययन में यह भी पता चला है कि ब्लड ग्रुप ए, बी और एबी वाले लोगों को कोरोना का खतरा ज्यादा है लेकिन सभी ब्लड ग्रुप वाले लोगों में संक्रमण की दर में कोई अंतर नहीं देखा गया है।
यह अध्ययन डेनमार्क में हुआ है और इसमें 4,73,654 लोग शामिल हुए थे।
भारत में अगले साल के मध्य तक मिलेगी वैक्सीन
दुनिया के कई देशों में कोरेाना वायरस की वैक्सीन बन रही है। इस वैक्सीन का ट्रायल भी अंतिम चरण में है। वैक्सीन को लेकर पहले दावा किया गया था कि अक्टूबर तक सभी के लिए उपलब्ध होगा फिर कहा गया कि दिसंबर में मिलेगा।
लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि कोरोना वैक्सीन अगले साल ही सभी के लिए उपलब्ध हो पायेगी।
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भारत में भी तीन वैक्सीन अभी ट्रायल चरण से गुजर रही हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो अगले साल के मध्य में कोरोना की वैक्सीन मिल सकती है।
यही वजह है कि भारत सरकार ने भी उन लोगों की पहचान करनी शुरू कर दी है, जिन्हें कोरोना वैक्सीन सबसे पहले दी जाएगी।
भारत में सबसे पहले कोरोना वैक्सीन हेल्थकेयर वर्कर्स, बुजुर्ग लोगों और सबसे ज्यादा खतरे वाली जनसंख्या को दी जाएगी। इनकी संख्या करीब 30 करोड़ हो सकती है। बता दें कि भारत को करीब 60 करोड़ कोरोना वैक्सीन की डोज मिल सकती हैं।
केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीन देने के लिए चार कैटेगरी बनायी हैं, जिनमें एक कैटेगरी हेल्थकेयर वर्कर्स की है, जिनमें 50-70 लाख लोग हैं।
वहीं दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स जैसे पुलिस, म्युनिसिपल वर्कर्स, आर्म्ड फोर्सेज शामिल हैं। 50 साल से ऊपर की उम्र के 26 करोड़ लोग हैं। एक कैटेगरी उन लोगों की है, जो कोरोना के साथ ही अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हैं।
सरकार की इस योजना को विशेषज्ञों का एक समूह लागू करेगा। इस समूह की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल कर रहे हैं और स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण इसके सह-अध्यक्ष हैं। इस प्लान के पहले चरण में 23 फीसदी जनसंख्या को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है।
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भारत में अभी तीन वैक्सीन ट्रायल चरण से गुजर रही हैं। इनमें ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका तीसरे चरण में है, जिसका ट्रायल सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जा रहा है। इसके तीसरे चरण का डाटा नवंबर या दिसंबर में मिल सकता है।