न्यूज डेस्क
भारत में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोरोना के अब तक 14378 पॉजिटिव मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें कोरोना की चपेट में आए 480 मरीजों की मौत हो गई है, जबकि 1991 कोरोना मरीज ठीक भी हुए हैं। देश में अभी 11906 कोरोना मरीज हैं।
आज पूरा विश्व कोरोना वायरस के इस महामारी से जूझ रहा है। यह वो युद्ध है जिसके लिए कोई तैयार नहीं था। यह एक महामारी है या थोपा गया जैविक युद्ध यह तो आने वाला समय तय करेगा परंतु इतना तो अवश्य है की इस महामारी ने पूरे विश्व को घरों में बंद कर दिया है। देश के मीडिया भारत सरकार के कदम के बड़ाई और बुराई में व्यस्त हो गया। दिल्ली से लेकर मुंबई तक लाखों मजदूर रोजी रोटी के लिए सरकार की तरफ नजरे बनाए रखे हैं और हर तरफ अफरा तफरी का माहौल बनने लगा।
इस बीच इलेक्शन चस्का की टीम ने देश की नब्ज टटोलने का फैसला किया। इसके लिए उनकी टीम ने टेलीफोन से, सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए 28 मार्च 2020 से 8 अप्रैल 2020 के बीच देश के 40 हजार लोगों से संपर्क साधा, जिसमें 27,450 ने अपनी राय व्यक्त की। इसमें महानगरों, नगरों, कस्बों और गांव के लोग शामिल हुए।
क्या सोचता है भारत
भारत जब कोरोना से लड़ने की तैयारी करने लगा तो इस देश की मीडिया ने कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े किए। हमारे स्वास्थ्य सुविधाओं की तुलना विश्व के ऐसे देशों से की जाने लगी जो हमसे काफी संपन्न समृद्ध हो कर भी कोरोना से हार चुके थे। इसमें कोई दो राय नहीं की स्वास्थ्य सुविधाओं के पैमाने पर भारत, इटली, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड जैसे यूरोपीय देश के सामने कही नहीं टिकता। कोरोना के इस लडाई में जब ऐसे देश अपने संकट से जूझने लगे तो सवाल यही था की भारत का क्या होगा? अपने प्रधानमंत्री पर उन्हें कितना विश्वास है? क्या उनके नेतृत्व में देश इस युद्ध को जीत लेगा ? यही सबसे बड़ा प्रश्न था जो इलेक्शन चस्का की टीम ने अपने देश के नागरिकों से पुछा-
प्रश्न – 1- क्या आप को लगता है की देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस कोरोना से लड़ने में सक्षम है ?
सरकार ने अचानक 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की घोषणा की। रविवार के एक दिन के इस बंद को इस देश ने बखूबी निभाया। प्रधानमंत्री के आह्वान पर देश में थाली बजा स्वास्थ्य कर्मी और सुरक्षा कर्मी के मनोबल को बढ़ाया। प्रधानमंत्री ने ठीम उसके बाद 21 दिनों के लिए लाक डाउन की घोषणा कर दी। देखते-देखते बाजारों में लोग उमड़ पड़े। विरोधी मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करने लगे। मास्क, दवा स्वास्थ्य कर्मियों की परेशानी इत्यादि सामने आने लगे तो इसे ही जानने के लिए हमने देश से दूसरा सवाल पूछा
प्रश्न-2-अभी तक के जो अनुभव आपको हुए हैं उसके आधार पर क्या आप सरकार द्वारा उठाए गए या जा रहे कदमों को समर्थन में हैं या उनके विरोध में ?
79 फीसदी भारतीय सरकार के समर्थन में है तो वहीं 21 फीसदी मानते हैं की सरकार इसे और बेहतर ढंग से कर सकती थी। सरकार को लाक डाउन करने से पहले पूरी तैयारी करनी चाहिए थी और जनता को कम से कम एक हफ्ते का समय देना चाहिए था।
प्रश्न -3-लाक डाउन के बाद देश को किन चुनौतियों से सामना करना पड़ेगा ?
सरकार के कदमों का समर्थन सबसे ज्यादा ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है और सबसे कम उप नगरों में शहरों में देखने को। शहरों की 31 फीसदी आबादी लाक डाउन के विरोध में है।
देश यह मानता है कि आने वाला समय काफी संकट और चुनौती पूर्ण होगा। अंतिम सवाल हमने पूछा की देश की हालात सुधरने में और वापस पटरी पर आने में कितना समय लगेगा।
प्रश्न -4 -देश की अर्थव्यवस्था को दुबारा पटरी पर 2019 तक पहुंने में कितना समय लगेगा जिससे आप की आमदनी वही होती रहे जो अब तक हो रही थी ?