जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। भारतीय राजनीति के लिए अगला साल काफी अहम है। दरअसल इस साल कई राज्यों में विधान सभा चुनाव हो रहे हैं।
इन चुनावों को राजनीतिक दल एक तरह से सेमीफाइनल के तौर पर ले रहे हैं लेकिन असली अग्नि परीक्षा अगले साल होने वाली है क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में होने वाला है।
कांग्रेस से लेकर बीजेपी ने कमर कस ली है। कांग्रेस ने हाल में हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में शानदार जीत दर्ज कर फिर से जोरदार वापसी करने का दावा जरूर किया है लेकिन लोकसभा चुनाव में उसे इस जीत का कितना फायदा मिलता है ये तो आने वाला वक्त बतायेगा।
उधर क्षेत्रीय राजनीतिक दल भी अपनी तैयारियों में जुट गए है। हालांकि विपक्षी एकता पर पूरा फोकस किया जा रहा है लेकिन देखना होगा कि विपक्षी एकता लोकसभा चुनाव तक कितनी मजबूत रह पाती है कि नहीं। उधर अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी स्थिति साफ कर दी है।
अखिलेश यादव ने बताया है कि उनकी पार्टी किस सोच के साथ लोकसभा चुनाव में उतरेंगी। मोदी सरकार को सत्ता से दूर करने के लिए उनकी पार्टी एक नई रणनीति के साथ उतरेंगी। अखिलेश यादव ने 2024 में पीडीए की एकता के सहारे मोदी सरकार को बाहर का रास्ता दिखाने का दावा किया है। अब सवाल है कि आखिर पीडिए क्या है जिसके सहारे अखिलेश यादव एनडीए को सत्ता से बेदखल करने का दावा कर रहे हैं।
दरअसल असल पीडीए का मतलब है पिछड़े, दलितों और अल्पसंख्यक मतदाताओं से है। अखिलेश यादव का दावा है कि पिछड़े, दलितों और अल्पसंख्यक मतदाताओं का साथ मिला यूपी से बीजेपी का सफाया कर दिया जायेगा।
अखिलेश यादव ने दावा किया है ये लोग अब मौजूदा सरकार से काफी नाराज है और इनकी नाराजगी सका खामियाजा एनडीए को 2024 के आम चुनाव में भुगतना पड़ेगा।
अब इसका क्या पूरा समीकरण इसको भी समझ लेना बेहद जरूरी है : 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश की कुल आबादी का 20.80 फीसदी अनुसूचित जाति और 0.57 फीसदी अनुसूचित जनजाति है
यानी दलित हिस्सेदारी 21 प्रतिशत से ज्यादा है।
करीब 19 प्रतिशत मुस्लिम लोग है। अनुमानों के मुताबिक राज्य मेंकरीब 40 फीसदी ओबीसी जातियों की आबादी है क्योंकि इसके आधिकारिक आंकड़े जारी नहीं किए गए है।