जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना संक्रमण से ठीक होने वालों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही है। पहले लोग कोरोना संक्रमण से परेशान हुए उसके बाद ब्लैक फंगस और अब एक नया संकट पैदा हो गया है।
जी हां, म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के बाद अब कोरोना से ठीक हुए मरीजों में एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथ के नए मामले देखने को मिल रहे हैं। इस नई बीमारी में लोगों के शरीर की हड्डियां गलने लगती हैं।
एवैस्कुलर नेक्रोसिस के मुंबई में तीन मामले सामने आए हैं। इस नई बीमारी ने डॉक्टरों की चिंता बढ़ा दी है, जबकि विशेषज्ञों ने कहा है कि आने वाले समय में इस घातक बीमारी के मामले बढ़ सकते है।
यह भी पढ़ें : यूपी : रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई की बड़ी कार्रवाई, 13 जिलों में छापेमारी
यह भी पढ़ें : अब संसद के बाहर किसान खोलेंगे मोर्चा!
मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में भर्ती तीनों मरीजों की उम्र चालीस साल से कम है। कोरोना से ठीक होने के दो महीने बाद ही उनमें एवैस्कुलर नेक्रोसिस यानी बोन डेथ के लक्षण विकसित होने लगे।
म्यूकोरमाइकोसिस और एवैस्कुलर नेक्रोसिस, दोनों ही स्टेरॉयड के इस्तेमाल से जुड़ी हुई हैं। बता दें कि कोरोना के मरीजों के इलाज में स्टेरॉयड का इस्तेमाल किया जाता है।
हिंदुजा अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. संजय अग्रवाल ने कहा, इन मरीजों को फीमर बोन यानी जांघ की हड्डी में दर्द महसूस हुआ। ये तीनी ही मरीज डॉक्टर थे जिसके कारण उन्हें लक्षण पहचानने में आसानी हुई और वे तुंरत इलाज के लिए अस्पताल पहुंच गए।
डॉ अग्रवाल ने कहा कि 36 साल के एक मरीज में कोरोना से ठीक होने के 67 दिन बाद एवैस्कुलर नेक्रोसिस की शिकायत हुई जबकि दो अन्य मरीजों में 57 और 55 दिनों के बाद इसके लक्षण दिखें।
यह भी पढ़ें : बिहार की राजनीति में काफी अहम है आज का दिन, जानिए क्यों
यह भी पढ़ें : भागवत के बयान पर असदुद्दीन ओवैसी का पलटवार, कहा-ये नफरत हिंदुत्व…
यह भी पढ़ें : बंगाल में फिर शुरु हुआ खूनी खेल !
उन्होंने कहा कि सभी मरीजों को कोरोना संक्रमण के इलाज के दौरान स्टेरॉयड दिए गए थे।
एवैस्कुलर नेक्रोसिस पर डॉ.अग्रवाल का रिसर्च पेपर ‘एवैस्कुलर नेक्रोसिस ए पार्ट ऑफ लॉन्ग कोविड-19’ शनिवार को प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल ‘बीएमजे केस स्टडीज’ में प्रकाशित हुआ। इसमें उन्होंने बताया कि कोविड -19 मामलों में ‘जीवन रक्षक कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का बड़े पैमाने पर उपयोग’ के कारण एवीएन मामलों में बढ़ोत्तरी होगी।
यह भी पढ़ें : अब लेजर डिवाइस करेगी कोरोना वायरस का खात्मा!
इस बीच, कोयंबटूर के सरकारी अस्पताल में म्यूकोर्मिकोसिस के 264 मरीजों में से 30 मरीजों की एक आंख की रोशनी चली गई। अस्पताल के एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।