Monday - 28 October 2024 - 11:33 AM

निधन के एक साल बाद ही बंट गई पासवान की विरासत

जुबिली न्यूज डेस्क

पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की विरासत उनके निधन के एक साल के बाद ही बंट गई है। चुनाव आयोग ने लोकजनशक्ति पार्टी के दोनों धड़ों को अलग-अलग पार्टी के तौर पर मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही अब पुराना नाम और चुनाव चिह्न भी खत्म कर दिया है।

अब चिराग पासवान की पार्टी का नाम लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) होगा। इस दल को हेलिकॉप्टर चुनाव चिह्न आवंटित दिया गया है। वहीं रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमार पारस की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी होगा। इस दल को सिलाई मशीन चुनाव चिह्न दिया गया है।

चुनाव आयोग की ओर से जारी पत्र में बताया गया है कि चिराग पासवान की पार्टी का नाम अब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) होगा। इसके अलावा उनकी पार्टी को चुनाव चिह्न के तौर पर हेलिकॉप्टर दिया गया है। वहीं उनके चाचा की पार्टी का नाम राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी रख दिया गया है। उन्हें सिलाई मशीन चुनाव चिह्न आवंटित किया गया है।

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फिलहाल अब दोनों गुटों के बीच पार्टी को लेकर दावे की लड़ाई अब खत्म होती दिख रही है। हालांकि चिराग पासवान की पार्टी के नाम रामविलास जुड़ गया है, जिससे उन्हें चुनावी समर में पिता की विरासत के आधार पर वोट मांगने में मदद मिल सकती है।

मालूम हो कि रामविलास पासवान के निधन के बाद से ही उनके बेटे चिराग और भाई पशुपति पारस के बीच मतभेद उभर आए थे। दोनों के बीच समय के साथ मतभेद गहरे होते चले गए।

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पशुपति कुमार पारस के गुट ने चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय दल के नेता के पद से ही हटा दिया था। तब से ही दोनों गुट पार्टी पर अपना-अपना दावा कर रहे थे।

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यह लड़ाई आयोग तक भी पहुंची थी, जिसने अब यह फैसला दिया है। उम्मीद की जा रही है कि पार्टी पर दावेदारी को लेकर दोनों दलों के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद अब खत्म हो सकेगा।

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