जुबिली स्पेशल डेस्क
पटना। बिहार में जब से नीतीश कुमार फिर से एनडीए के साथ आए है तब से वहां पर एनडीए के कुछ सहयोगियों को मुकिश्लों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल लोकसभा चुनाव में एनडीए बिहार में अपने प्रत्याशियों का ऐलान जल्द करने वाला है। इसको लेकर कल ही सीट शेयरिंग का फॉमूर्ला भी तय कर लिया गया।
इसके अनुसार सीट शेयरिंग फॉर्मूले के अनुसार बिहार की 40 में से 17 सीटों पर बीजेपी, 16 पर जेडीयू, पांच पर एलजेपी और बची दो सीटों में से एक-एक पर हिंदुस्तानी आवामी मोर्चा (हम) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा के खाते में दी गई है।
एनडीए ने जैसे ही इसका ऐलान किया तो वैसे ही वहां पर एनडीए के कुनबे में रार मच गई है। इसका सबसे बड़ा कारण है पशुपति पारस को एक भी सीट नहीं देना और उपेंद्र कुशवाहा को सिर्फ एक सीट देना। दोनों ही अब खुलकर एनडीए के खिलाफ नजर आ रहे हैं और अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
यहां पर गौर करने की बात है कि चिराग पासवन को लेकर बीजेपी ने बड़ा फैसला किया और पासवन वोट को देखते हुए उनको ज्यादा महत्व दिया गया लेकिन उनके चाचा पशुपति पारस को एक भी सीट नहीं दी है और उनको एनडीए से भी अलग-थलग कर दिया गया है।
उपेंद्र कुशवाहा इस वजह से नाराज हैं और अपनी नाराजगी बीजेपी नेतृत्व के सामने सीट शेयरिंग के ऐलान से पहले ही जाहिर भी कर दी थी। उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए की प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी नजर आई। प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहार बीजेपी के प्रभारी विनोद तावड़े, बिहार बीजेपी के अध्यक्ष और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और संजय मयूख थे।
चिराग पासवान की पार्टी से राजू तिवारी, जीतनराम मांझी की पार्टी से रजनीश कुमार भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में थे लेकिन पशुपति पारस की पार्टी के साथ ही कुशवाहा की पार्टी का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था।
मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार उपेंद्र कुशवाहा कम से कम तीन सीट की चाहत थी लेकिन एनडीए ने उनको सिर्फ एक सीट दी है और यहीं बात उनको रास नहीं आ रही है जबकि पशुपति पारस को एनडीए ने पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया है और सियासी फायदे के लिए चिराग पासवन को पांच सीटें देकर उनके चाचा पशुपति पारस को साफ संकेत दे दिया है कि अब एनडीए में उनकी पारी खत्म हो गई है।