न्यूज़ डेस्क
संसद का शीतकालीन सत्र आज यानी सोमवार से शुरु हो रहा है। ऐसे में एक और जहां सरकार कई बिलों को पास कराने की कोशिश करेगी। वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष तमाम मुद्दों पर सरकार का जमकर विरोध करेगी। वहीं, इस बार महाराष्ट्र में सरकार न बन पाने के कारण शिवसेना भी विपक्ष में बैठेगी। इससे विपक्ष की संख्या पहले से और बढ़ जाएगी।
इससे पहले रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक की थी। इस बैठक में उन्होंने कहा कि इस बार सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। लंबित मुद्दों के सकारात्मक ढंग से समाधान और प्रदूषण, अर्थव्यवस्था व किसानों से जुड़े मसलों पर सभी दलों के साथ मिलकर बात करेंगे।
वहीं, प्रधानमंत्री के इस आश्वासन से राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद सहमत नहीं दिखे। उन्होंने कहा कि सदन में बात जब बेरोजगारी, आर्थिक मंदी और किसानों की स्थिति की होती है तो तब सरकार अलग रुख अपनाती है। उन्होंने कहा कि विपक्ष आर्थिक सुस्ती एवं बेरोजगारी जैसे मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगेगा।
मजबूत होगा विपक्ष
महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के अलग होने विपक्ष मजबूत होगा। शिवसेना के लोकसभा में 18 सांसद है जबकि राज्यसभा में तीन सांसद उनके पास है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और शिवसेना की बातचीत चल रही है। हालांकि अभी यहां राष्ट्रपति शासन लागू है।
इसके अलावा कांग्रेस के लोकसभा में 52 सांसद हैं, डीएमके के 24, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के 22 और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) के 22 सांसद हैं, जबकि शिवसेना विपक्ष की पांचवी सबसे बड़ी घटक पार्टी है। संयुक्त विपक्ष की ताकत लोकसभा में 200 के आंकड़े को पार कर गई है, जहां संख्या की कमी के कारण विपक्ष के नेता का पद खाली है।
गौरतलब है कि वाईएसआरसीपी, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) और बीजू जनता दल (बीजद) तीनो पार्टियां भी तकनीकी रूप से तो विपक्ष में हैं। लेकिन उनका रुख राजनीति के साथ बदलता रहता है।
चिदंबरम और फारुख अब्दुल्लाह को शामिल करने की मांग
सर्वदलीय बैठक में गुलाम नबी आजाद सहित कई विपक्षी नेताओं ने जम्मू कश्मीर में फारूख अब्दुल्ला जैसे नेताओं को हिरासत में रखे जाने का मुद्दा उठाया। साथ ही मांग की कि कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को भी संसद में उपस्थित होने की अनुमति मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी ऐसे सांसदों को सदन में शामिल होने का मौका मिला है।
क्या है विपक्ष की रणनिति
सरकार पिछले सत्र में विरोधी दलों के कई नेताओं को अपने पाले में कर तमाम विधेयक पारित करा लिया था। हालांकि, विधानसभा चुनावों में उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन, शिवसेना के साथ भाजपा का संबंध टूटना और आर्थिक सुस्ती पर रिपोर्ट ने उसे बड़ा मौका दे दिया है। शिवसेना के 18 सांसद भी सरकार को घेरने में उसकी मदद करेंगे।