जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के दौर में लम्बे समय से बंद स्कूलों का ताला खोले जाने की केन्द्र सरकार ने घोषणा कर दी है. राज्य सरकारों ने यह व्यवस्था की है कि स्कूलों में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पढ़ाई का इंतजाम किया जाए. बड़ी संख्या में अभिभावक बच्चो को स्कूल भेजने को तैयार भी नहीं हैं. ऐसे हालात में हिमाचल सरकार ने घोषणा की है कि बच्चो को स्कूल में अगर कोरोना का संक्रमण हुआ तो अभिभावक ज़िम्मेदार होंगे.
कोरोना महामारी की वजह से आधा साल गुज़र गया मगर स्कूलों का ताला नहीं खोला गया. देश के तमाम स्कूल बच्चो को ऑनलाइन शिक्षा दे रहे हैं ताकि उनका पढ़ाई से रिश्ता बना रहे. स्कूल बंद हंम तो तमाम लोगों के पास रोज़गार भी नहीं रहे हैं. रोज़गार के अभाव में लोगों के सामने बच्चो की फीस भरना भी टेढ़ी खीर साबित हो रहा है.
केन्द्र सरकार के निर्देश के बाद हिमाचल सरकार स्कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोलने की तैयारी कर रही है. स्कूल खोलने की जिस व्यवस्था पर सहमति बनी है उसमें पहले चरण में दसवीं और बारहवीं क्लास खुलेंगे. सरकार ने स्कूल खोलने की घोषणा के साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर बच्चो को स्कूल में कोरोना हुआ तो सरकार ज़िम्मेदार नहीं होगी.
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सरकार ने स्कूलों के लिए एक सहमति पत्र तैयार करवाया है जिस पर अभिभावकों को हस्ताक्षर करने हैं. इस पर लिखा है कि स्कूल में बच्चो को अगर कोरोना का संक्रमण हुआ तो माँ-बाप स्कूल को ज़िम्मेदार नहीं ठहराएंगे.
हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविन्द ठाकुर ने कहा है कि माँ-बाप की सहमति के बगैर बच्चो को स्कूल नहीं बुलाया जायेगा. स्कूल खोलने से पहले माँ-बाप और शिक्षकों की ऑनलाइन मीटिंग होगी. हिमाचल के स्कूलों में शिक्षकों की स्कूलों में सौ फीसदी हाजरी शुरू हो गई है. अब तक ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही थी लेकिन अब बच्चो को स्कूल बुलाने की तैयारी चल रही है.