जुबिली न्यूज डेस्क
कश्मीर में अप्रवासी मजदूर व कामगार डरे हुए हैं। एक सप्ताह के भीतर अपने दो साथियों की मौत देख चुके अप्रवासी मजदूर घाटी छोडऩे की तैयारी कर रहे हैं।
कश्मीर में दहशत का माहौल है। अप्रवासी लोग डरे-सहमे हुए हैं। इस सबको देखते हुए केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि कश्मीर में काम कर रहे आप्रवासी मजदूरों व अन्य कामगारों को पुलिस और सेना के कैंपों में रखा जाएगा।
केंद्र सरकार ने एक के बाद एक हो रही आप्रवासियों की हत्याओं के बाद यह फैसला किया है।
कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने रविवार को बताया कि भारत सरकार ने आप्रवासी लोगों को सुरक्षा के लिए पुलिस और सेना के कैंपों में रखने का फैसला किया है।
विजय कुमार ने कहा कि उन्होंने अपने अफसरों को निर्देश दिया है कि जल्द से जल्द इन लोगों को सुरक्षित जगहों पर भेजा जाए।
रविवार को और तीन लोग आतंकी हमले का शिकार हुए जिनमें से दो की मृत्यु हो गई। इसके बाद आईजी ने बताया, “मैंने अफसरों को निर्देश दे दिया है कि जिन लोगों को खतरा है उन्हें तुरंत सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जाए।”
वर्तमान में कश्मीर में दसियों हजार आप्रवासी काम कर रहे हैं जो दूसरे प्रदेश से आए हैं। इनमें से कितने लोगों को सुरक्षित कैंपों में रखा जाएगा, इस बारे में अभी कोई स्थिति साफ नहीं हो सकी है। यह भी साफ नहीं हो पाया है कि ये लोग कैंपों में ही रहेंगे या वहां से काम कर सकेंगे।
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घाटी में जारी हैं हत्याएं
कश्मीर में पिछले करीब दो हफ्ते से एक के बाद एक मासूम लोगों की हत्याओं का सिलसिला जारी है। रविवार को तीन लोगों को गोली मार दी गई जिनमें से दो की मौत हो गई, और तीसरा घायल है।
जो दो लोग मारे गए वे बिहार के रहने वाले थे और कश्मीर में मजदूरी कर रहे थे। खबर है कि वानपो और कुलगाम में आतंकवादियों ने रविवार को मजदूरों पर गोलीबारी की जिसमें इन दोनों की मौत हो गई। इसके साथ ही कश्मीर में इस महीने मारे जानेवाले लोगों की संख्या 11 हो गई है।
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बीते शनिवार को भी दो लोगों को गोली मार दी गई थी जिनमें बिहार के एक रहने वाले अरविंद कुमार साह थे जो वहां गोलगप्पे बेचने का काम करते थे। एक अन्य व्यक्ति उत्तर प्रदेश का रहने वाला था जिसे गोली मार दी गई थी।
साह को श्रीनगर में बहुत करीब से गोली मारी गई। पुलवामा में मारे गए सगीर अहमद उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और वहां बढ़ई का काम कर रहे थे।
इस महीने जिन 11 लोगों की मौत हुई है उनमें से 5 अन्य राज्यों के हैं, जबकि छह कश्मीर के ही रहने वाले हैं। इनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग शामिल हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा लगता है कि आतंकवादी लोगों को कश्मीर से भगाने के लिए इस तरह की हत्याएं कर रहे हैं।
घाटी में दहशत
इन हत्याओं के चलते कश्मीर में डर का माहौल है और बहुत सारे लोग अपने घर छोड़कर जाने लगे हैं। ऐसे दर्जनों लोग जो कश्मीरी आप्रवासियों के लिए चलाई गई प्रधानमंत्री की विशेष योजना के तहत घाटी में लौटे थे अब वापस चले गए हैं। इनमें सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं।
इन हमलो के चलते सुरक्षा बलों ने कड़ी सख्ती बरती हुई है और 900 से ज्यादा लोगों को अलगाववादियों से संपर्कों के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। सुरक्षाबलों ने आतंकवाद रोधी अभियान भी तेज कर दिए हैं और पुलिस के मुताबिक पिछले एक हफ्ते में 13 आतंकवादी मार गिराए गए हैं।
इंस्पेक्टर जनरल विजय कुमार ने बताया, “नौ मुठभेड़ों में 13 आतंकवादियों को मार गिराया गया है। हमने पिछले 24 घंटे में श्रीनगर में तीन आतंकवादियों को मारा है।”
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साजिश की आशंका
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि हाल में हुई नागरिकों की हत्याओं में कोई भी कश्मीरी शामिल नहीं हैं। ये घटनाएं कश्मीरियों को बदनाम करने के लिए की जा रही हैं।
अब्दुल्ला ने कहा, “ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण हत्याएं हैं और इन्हें एक साजिश के तहत अंजाम दिया जा रहा है। कश्मीरी इन हत्याओं में शामिल नहीं हैं। ये कश्मीरियों को बदनाम करने की कोशिश है।”