सुरेंद्र दुबे
भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को क्या हटाया कि पाकिस्तान की बौखलाहट शुरू हो गई। उसने इस मामले को राष्ट्र संघ में उठाने तथा पूरी दुनिया में हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान को लगता है कि अनुच्छेद 370 के चलते भारत में फिरकापरस्ती व आतंकवाद को बढ़ावा देना उसके लिए ज्यादा आसान था।
अब नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। पूरे जम्मू-कश्मीर में किसी अनहोनी से निपटने के लिए बड़ी संख्या में अर्धसैनिक बल व सेना तैनात कर दी गई है। इसलिए फिलहाल तो पाकिस्तान के लिए कश्मीर में कोई बवाल कराना काफी मुश्किल है। पर पाकिस्तान कोई न कोई बवाल करा कर अपनी खिसयाहट मिटाने का प्रयास करेगा।
पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को धमकी देने से कौन रोक सकता है । वैसे भी अपने देश में तो वह कुछ करने लायक बचे नहीं हैं तो भारत को धमकी देकर वह अपनी देश की सेना और वहां मौजूद 40 हजार आतंकवादियों की जी हुजूरी करने में लगे हुए हैं। इमरान खान ने सीधे-सीधे धमकी दी है कि नए घटनाक्रम के बाद जम्मू-कश्मीर में पुलवामा जैसे हमले फिर हो सकते हैं।
यानी कि एक तरह से उन्होंने स्वीकार कर लिया है कि पुलवामा का हमला कराने में पाकिस्तान की ही भूमिका थी। जाहिर है कि इमरान खान के इस बयान को भारत सरकार काफी गंभीरता से लिया होगा जो पाकिस्तान द्वारा रची जा सकती घिनौनी साजिश की मंशा को साफ-साफ जाहिर करता है। इसलिए भारत को उनको मुहंतोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35-ए को हटाना भारत का निजी मसला है और पाकिस्तान द्वारा इस पर की जा रही टिप्पणी को दूसरे देश के मामले में टांग अड़ाने का प्रयास ही कहा जाएगा। पाकिस्तान की दिक्कत यह है कि जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित राज्य हो जाने के कारण सीधे-सीधे इस्लामाबाद और दिल्ली के बीच तनाव होगा। जम्मू-कश्मीर की अब कोई स्वतंत्र एसेंबली नहीं होगी। इसलिए अलगावादियों की वहां कोई भूमिका नहीं रह जाएगी।
अब कोई गिलानी या यासिन मलिक उनकी कठपुतली की तरह काम करने और आतंकवादियों को पनाह देने के लिए उपलब्ध नहीं होंगे। एक तरह से अलगाववाद व आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले बिचौलिए उनकी मदद के लिए उपलब्ध नहीं होंगे, जिनकी मदद से व अपने घिनौने मंसूबे आसानी से पूरे कर लेता था। आतंकवाद इससे पूरी तरह रूक जाएगा, ये कहना तो सच्चाई को नकारने जैसा होगा परंतु यह जरूर है कि पाकिस्तान को नए कंधे तलाशने होंगे। वह ऐसा कर पाएगा कि नहीं यह भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है।
आईये देखते हैं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत को कैसे-कैसे धमकी दी। पहले तो नेशनल असेंबली में बोलते हुए इमरान खान ने कहा कि हम भारत के इस कदम का कड़ा विरोध करते हैं। हम इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाएंगे। हालांकि, इस दौरान उनके बोल बिगड़ गए और उन्होंने कह दिया कि भारत के इस कदम से कश्मीर में हालात और खराब होंगे। उन्होंने यहां तक कह दिया कि अनुच्छेद 370 के साथ छेड़छाड़ करके भारत ने और पुलवामा जैसे हमले को न्योता दे दिया है।
अब कोई इनसे पूछे कि भारत अपने किसी राज्य में कोई नई व्यवस्था लागू कर रहा है तो इनके पेट में दर्द क्यों हो रहा है। परंतु पाकिस्तान के हर हुक्मरान की राजनीति का मुख्य बिंदु भारत विरोध रहा है, जिसके लिए जम्मू-कश्मीर के मामले में उसने हमेशा टांग अड़ाई। पाकिस्तान को अब यह भी आशंका है कि कहीं भारतवर्ष पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को वापस लेने के लिए कार्रवाई शुरू न कर दे, जिससे थोड़ी बहुत बची हुई नाक पूरी तरह कट जाए।
देश में जिस तरह जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और उसे केंद्र शासित राज्य बनाए जाने को लेकर ढोल नगाड़े बज रहे हैं। उसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि आगे-पीछे पीओके को वापस लेने के लिए मांग उठ सकती है। मोदी जी की क्या तलवार लेकर निकल लिए हैं हो सकता है आगे बढ़ ही जाएं। कहते हैं मोदी हैं तो मुककिन हैं और इसलिए कुछ भी मुमकिन हो सकते हैं।
इमरान खान ने आगे कहा कि मोदी सरकार का फैसला कश्मीर के लोगों को कुचलने में सक्षम नहीं होगा। इमरान खान ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने संस्थापकों की ‘जातिवादी’ विचारधारा पर काम किया है, जिन्होंने मुसलमानों को सेकंड क्लास सिटीजन के रूप में माना।
पाकिस्तान पीएम ने अनुच्छेद 370 के खिलाफ मोदी सरकार के कदम पर मोहम्मद अली जिन्ना को याद किया। कहा कि जिन्ना जानते थे कि आरएसएस भारत में केवल हिंदुओं को चाहता है और वहां मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक माना जाएगा। आज वो बात सही भी ठहरी। बेबुनियात बात करते हुए इमरान ने कहा कि भारत हिंदुओं को महत्व देता रहा, जबकि पाकिस्तान सभी मनुष्यों के लिए समानता पर आधारित रहा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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