राजीव ओझा
जम्मू-कश्मीर आजकल सुर्ख़ियों में है। पहले आर्टिकल 370 को लेकर चर्चा में था। फिर केंद्र शासित प्रदेश बनाये जाने और लद्दाख को अलग किये जाने को ले सुर्ख़ियों में आया और अब भारत के नए आधिकारिक नक़्शे में पाकिस्तान के कब्जे वाले मुजफ्फराबाद, मीरपुर और गिलगित को जम्मू-कश्मीर में शामिल किये जाने को लेकर चर्चा जोरों पर है। कुछ लोग तो यह तक कह रहे अब भारत के निशाने पर पाक अधिकृत कश्मीर है और इसमें खासकर मुजफ्फराबाद। क्योंकि मुजफ्फराबाद में कई आतंकवादी संगठनों के प्रशिक्षण शिविर हैं।
इतिहास गवाह है की समय समय पर राज्य बनते बिगड़ते रहे हैं और इनके नाम भी बदलते रहे हैं। क्या आपको पता है की जम्मू- कश्मीर का नाम कैसे पड़ा? आज राज्यों के नाम से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों से आपको रूबरू करते हैं।
कश्मीर का नाम ‘क’ और ‘शिमीर’ दो शब्दों को मिलाने से पड़ा है। जिसमें ‘क’ शब्द का अर्थ जल एवं ‘शिमीर’ शब्द का अर्थ सूखना होता है। वहीँ जम्मू का नाम वहां के शासक रहे राजा जंबू लोचन के नाम पर पड़ा।
जम्मू-कश्मीर से बड़ा लद्दाख
अब लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है। सबसे रोचक बात है कि दो जिले लेह और कारगिल वाला केंद्र शासित राज्य लद्दाख का क्षेत्रफल में जम्मू-कश्मीर से बड़ा होगा। वहीं इसका जिला लेह क्षेत्रफल की दृष्टि से पूरे देश का सबसे बड़ा जिला होगा।
जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 के तहत नवगठित केंद्र शासित राज्य जम्मू कश्मीर में पीओके के मीरपुर व मुजफ्फराबाद और लद्दाख में गिलगित और गिलगित वजारत को शामिल किया गया है। गृहमंत्रालय ने 31 अक्तूबर को बने इन दोनों केंद्र शासित राज्यों का आधिकारिक नक्शा शनिवार को जारी कर दिया। राजपत्रित आदेश में गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि आजादी के वक्त 1947 वाले जम्मू कश्मीर की भौगोलिक स्थिति के आधार पर इन राज्यों का बंटवारा किया गया है।
1947 में जम्मू कश्मीर में थे ये 14 जिले
गृह मंत्रालय के मुताबिक 1947 के वक्त वाले भूतपूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य में 14 जिले थे। यह जिले कठुआ, जम्मू, उधमपुर, रियासी, अनंतनाग, बारामूला, पुंछ, मीरपुर, मुजफ्फराबाद, लेह और लद्दाख, गिलगित, गिलगित वजारत, चिल्हास और जनजातीय क्षेत्र।
इशारों को अगर समझा जाये तो भारत की अगला निशाना मीरपुर, मुजफ्फराबाद और गिलगित हो सकते हैं। अब पकिस्तान के लिए राजधानी इस्लामाबाद से कहीं अधिक महत्पूर्ण मुजफ्फराबाद हो गया है। तभी पकिस्तान ने भारी संख्या में अपनी फौजों का जमावड़ा मुजफ्फराबाद में कर रखा है।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा बार बार मुजफ्फराबाद जाकर अपनी सेना का हौसला बढ़ा रहे हैं। भारत को अपने एटामिक बम की धमकी देने से भी बाज नहीं आते। इसी से लगता कि पाकिस्तान के कमजोर प्राइमिनिस्टर इमरान खान के साथ पाकिस्तानी सेना को भी इस समय भारत का डर सता रहा है। तो क्या माल लिया जाये कि पीओके के कब्जे वाले मीरपुर और मुजफ्फराबाद को कभी भी भारत वापस लेने के लिए कोई बड़ा कदम उठा सकता है? पकिस्तान ने अगर आतंकियों को बढ़ावा देना जारी रख तो किसी भी सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, लेख उनके निजी विचार हैं)
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