न्यूज डेस्क
पाकिस्तानी ज़मीन पर फल-फूल रहे आतंकी संगठनों को लेकर पाकिस्तान एफएटीएफ को गुमराह करने में लगा हुआ है। पाकिस्तान अब आतंकी संगठनों के खिलाफ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से बचने के लिए एफआईआर (FIR) दर्ज करा रहा है। दर्ज हो रही एफआईआर पर विधि विशेषज्ञों का मानना है कि ये अदालत में नहीं टिकेंगे ।
गौरतलब है कि अमेरिका ने बैंकॉक में हुई एफएटीएफ की बैठक में दुनियाभर के नेताओं के सामने पाकिस्तान से प्रतिबंधित आतंकी संगठनों और उनके नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा था।
इस बैठक में पाकिस्तान ने आतंकी संगठनों के खिलाफ दुनिया के सामने जो एफआईआर दिखाई थी, वो पूरी तरह दिखावे वाला कदम प्रतीत होता है। दर्ज एफआईआर में जो तारीख पड़ी है उसके अनुसार इसे एक जुलाई को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरांवाला पुलिस स्टेशन में दर्ज कराया गया है।
इसमें लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के संगठन दावा-वल-इरशाद पर गलत तरीके से जमीन हड़पने का मामला दर्ज किया गया है। खास बात यह है कि इस एफआईआर ऐसी भाषा में जिससे कोर्ट उन्हें आगे चलकर बरी कर देगा।
ये दर्ज हुई एफआईआर में लश्कर चीफ हाफिज सईद का नाम कहीं भी दर्ज नहीं है। इसके साथ ही आतंकी संठगन लश्कर-ए-तैयबा को संचालित करने वाले अब्दुल गफ्फार, हाफिज मसूद, आमिर हमजा और मालिक जाफर इकबाल के नाम का भी जिक्र इसमें नहीं किया गया है। इसी के साथ एफआईआर में इस बात का जिक्र नहीं है कि लश्कर के आतंकी इस जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधि को अंजाम देने के लिए करने जा रहे थे।
इस्लामाबाद में तैनात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की प्रतिनिधि टेरीजा सांचेज ने कहा था कि अगर पाकिस्तान एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं निकला तो हाल ही में जो लोन स्वीकृत किया गया है वो खतरे में पड़ जाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था ने जून, 2018 को पाकिस्तान से एफएटीएफ की ग्रे सूची में शामिल है।