अब्दुल हई
दिल्ली विधानसभा चुनाव में नेताओं ने विवादित बयान देने की शुरुआत कर दी है। भाजपा के मॉडल टाउन से उम्मीदवार कपिल मिश्रा ने एक विवादित ट्वीट किया है।
कपिल मिश्रा ने ट्वीट करके कहा है कि 8 फरवरी को दिल्ली की सड़कों पर हिंदुस्तान और पाकिस्तान का मुकाबला होगा यानी दिल्ली के चुनाव में भी पाकिस्तान की एंट्री हो गई है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब भारत के किसी चुनाव में पाकिस्तान का जिक्र हुआ है। नेता अतीत में हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों की रैलियों में पाकिस्तान को एक चुनावी मुद्दे के रूप में उछाल चुके हैं।
शाहीन बाग में जिस तरह से सड़कों पर कब्जा कर लिया गया। लोग ऑफिस, स्कूल और अस्पताल नहीं जा पा रहे हैं। ये शाहीन बाग फिर से रिपीट किए जा रहे हैं। चांद बाग में कब्जा कर लिया गया है। इंद्रलोक में परसों रात से कब्जा है। दिल्ली में जगह-जगह ये मिनी पाकिस्तान क्रिएट कर दिए गए हैं। https://t.co/8uqJb4Puai
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 23, 2020
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इसी प्रकार 19 अप्रैल 2014 को भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने झारखंड में कहा था, ‘‘जो लोग मोदी का विरोध करते हैं, वे पाकिस्तान की ओर देख रहे हैं और ऐसे लोगों का स्थान पाकिस्तान में है, भारत में नहीं।’’
29 अक्टूबर, 2015 को बिहार विधानसभा चुनावों के दौरान अमित शाह ने कहा था, ‘‘गलती से भी अगर भारतीय जनता पार्टी बिहार में हार गई तो जय-पराजय तो यहां होगी, पटाखे पाकिस्तान में जलेंगे। क्या आप चाहते हैं कि पटाखे पाकिस्तान में जलें?’’
चार फरवरी, 2017 को मेरठ में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि उनकी केंद्र की सरकार ने पाकिस्तान में घुसकर पाई-पाई का हिसाब चुकाया है।
24 फरवरी 2017 को गोंडा में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानुपर में हुए रेल दुर्घटना के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया था। 11 दिसंबर 2017 को गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि गुजरात के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सीमापार से मदद से ले रहे हैं।
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ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि भारत के चुनाव में पाकिस्तान का जिक्र क्यों लाया जाता है। भारत और पाकिस्तान का क्या मुकाबला? अपनी राजनीति चमकाने के लिए नेता लोग हमेश ही पाकिस्तान को चुनाव में ले आते हैं। पाकिस्तान जो अर्थव्यवस्था, उद्योग धंधों, भारतीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, साहित्य, शिक्षा हर स्तर पीछे है फिर भी हम खुद की तुलना उससे करते हैं। ये वैसा ही है जैसा पहला स्थान पाने वाले की तुलना पीछे बैठे शरारती छात्रों से करना।
हमारे नेता भारत की तुलना चीन, जापान, अमेरिका से क्यों नहीं करते? उनसे किस तरह हम हर चीज में पीछे हैं और कैसे भारत का विकास कर सकते हैं। रुपए को डाॅलर के समकक्ष लाने का प्रयास क्यों नहीं किया जा रहा है। भारत में कोई भी न्यूज चैनल खोल वहीं भारत-पाकिस्तान की डिबेट, थक चुके हैं हम भारतीय। हमें भारत को जानना है, भारत की विश्व स्तर पर जो पहचान है उसके बारे में जानना है भारत को विकास की ओर लेकर जाना है न कि पाकिस्तान की ओर।
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भारत की राजनीति से और भारत की न्यूज चैनलों से अगर ‘पाकिस्तान’ का शब्द सिर्फ एक दिन के लिए ही बैन कर दें तो वह क्या दिखएंगे? और किन मुद्दों पर चर्चा करेंगे? पूरे टाइम तो वो भारत की बात छोड़ कर पाकिस्तान की चर्चा करते रहे हैं। पाकिस्तान ऐसा-पाकिस्तान वैसा, पाकिस्तान चोर है, धोकेबाज है और अलग विचारधारा वालों पाकिस्ताान भेजना, पाकिस्तान भारत से डर रहा है………. आदि-आदि-इत्यादि।
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अगर ऐसा हो गया तो नेता और न्यूज चैनल वाले मौन व्रत रख लेंगे और जब उनका मौन व्रत खत्म होगा तो वो सबसे पहले यही बोलेंगे कि ‘‘इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ था हम इस पर कड़ी कर्रवाई करेंगे।’’
(लेखक स्वतन्त्र पत्रकार हैं, लेख में उनके निजी विचार हैं)