न्यूज डेस्क
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता पी. चिदंबरम इन दिनों आईएनएक्स मीडिया मामले में जांच एजेंसियों के शिकंजे में हैं। दिल्ली हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत नहीं मिलने के बाद सीबीआई ने चिदंबरम को हिरासत में लिया, अदालत द्वारा मिली कस्टडी आज खत्म हो रही है। पी. चिदंबरम मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में शुरू हो गई है।
कपिल सिब्बल ने जस्टिस भानुमती के सामने इस मसले को उठाया, जिसपर जज ने कहा कि अभी तक CJI ने मामले की लिस्टिंग के ऑर्डर नहीं दिए हैं, रजिस्ट्री उसका इंतजार कर रही है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अगर मामला सुना जाएगा तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद जस्टिस भानुमती ने कहा कि ये मामला आइटम नंबर 50 है।
सूत्रों की मानें तो सीबीआई को उम्मीद है कि उन्हें कोर्ट से पी. चिदंबरम की हिरासत कुछ और दिनों के लिए मिल सकती है। सीबीआई की मांग रहेगी कि चिदंबरम पूछताछ में उनका समर्थन नहीं कर रहे हैं और उन्हें पूछताछ के लिए काफी कम समय मिला है। साथ ही पांच दिनों में जो नई बातें सामने आई हैं, उनकी भी जांच होनी है।
बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ना मिलने के बाद नाटकीय अंदाज में सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। कांग्रेस पार्टी की तरफ से इसपर काफी हंगामा किया गया था, राहुल गांधी-प्रियंका गांधी हर कोई चिदंबरम के सपोर्ट में खड़ा था।
जिसके बाद शुक्रवार को सीबीआई को पी. चिदंबरम की चार दिन की कस्टडी मिली थी। राउज़ एवेन्यू कोर्ट ने पी. चिदंबरम को जमानत देने से इनकार किया, अब उनकी हिरासत आज खत्म हो रही है। ऐसे में सीबीआई की टीम उन्हें फिर कोर्ट में पेश करेगी और हिरासत बढ़ाने की मांग करेगी। सीबीआई पी. चिदंबरम की पांच दिन की और कस्टडी मांग सकती है।
ईडी हिरासत की मांग करेगी
माना जा रहा है कि यदि सीबीआई आगे चिदंबरम के हिरासत की मांग नहीं करती है तो ईडी उनके हिरासत की मांग करेगी और INX मीडिया केस में मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर आगे की पूछताछ करेगी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी आईएनएक्स मीडिया मामले में पी. चिदंबरम पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है। अगर चिदंबरम को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली तो ईडी पूर्व वित्त मंत्री को हिरासत में लेकर पूछताछ करना चाहेगी। ईडी ने इसके लिए शीर्ष कोर्ट में हलफनामा दायर किया है और कहा है कि चिदंबरम ने अपने करीबी विश्वासपात्रों और सह साजिशकर्ताओं के साथ मिलकर भारत और विदेश में मुखौटा कंपनियों का जाल बनाया।
ईडी के पास अपने दावों का समर्थन करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं। मुखौटा कंपनियों का संचालन करने वाले लोग चिदंबरम के संपर्क में हैं और एजेंसी के पास इसके सबूत हैं। ईडी केवल हिरासत में पूछताछ सच्चाई को उजागर करेगी।
मनी लॉन्ड्रिंग एक गंभीर अपराध
हलफनामा में कहा गया है कि चिदंबरम एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और उन्होंने खुद और अपने परिवार से दूरी बनाने के लिए शेल कंपनियों के शेयर होल्डिंग पैटर्न में बदलाव किए हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मानना है कि मनी लॉन्ड्रिंग एक गंभीर अपराध है क्योंकि भारत इंटरनेशनल फोरम- फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स का सदस्य है।
ईडी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि चिदंबरम पूर्व वित्त मंत्री, पूर्व गृहमंत्री हों या एक सामान्य नागरिक, अग्रिम जमानत मंजूर नहीं की जानी चाहिए। अगर शीर्ष अदालत आरोपी की याचिका पर विचार करती है तो यह न्याय का मखौल उड़ाना होगा।
चिदंबरम ने अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया
इससे पहले ईडी ने शीर्ष अदालत को चिदंबरम के विदेशी खातों और संपत्ति के बारे में सूचित किया है। ईडी ने शीर्ष कोर्ट को बताया है कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम ने अपने आधिकारिक पद का कैसे दुरुपयोग किया।
सुनवाई के दौरान ईडी ने सुप्रीम कोर्ट के सामने पैसा कमाने के लिए चिदंबरम द्वारा मुखौटा कंपनियां स्थापित करने और परिवार के सदस्यों से जुड़े ट्रस्ट का विवरण पेश किया है। फिलहाल ईडी कार्ति चिदंबरम की गिरफ्तारी के बाद जांच में हुई प्रगति के बारे में अदालत को सूचित करेगा।
एक बयान में एफआईपीबी अधिकारियों का दावा है कि वित्त मंत्री के रूप में चिदंबरम ने आईएनएक्स को 4.6 करोड़ रुपये के बजाय 305 करोड़ रुपये की एफडीआई लाने की अनदेखी करने का दबाव बनाया था। जांच एजेंसी ने ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड, बरमूडा, सिंगापुर और मॉरीशस को पत्र यानी लेटर ऑफ रोजेटर्स (एलआर) भेजकर इस मामले में मदद मांगी है।
ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में स्थापित यूनिसन ग्लोबल इन्वेस्टमेंट कंपनी का विवरण जिसे किकबैक हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया गया था, उसके बारे में भी जानकारी मांगी गई है। इसी तरह एफआईपीबी क्लीयरेंस के कई अन्य मामलों में इसी तरह के तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया गया है।