जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
लखनऊ. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव करीब आ गए हैं. राजनीतिक पार्टियाँ पूरी तैयारी के साथ जुट गई हैं. आल इण्डिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन ने भी यूपी में 100 सीटों पर चुनाव की तैयारी कर ली है. मजलिस का मकसद यूपी चुनाव को भी बिहार जैसा ही बनाना है. ओवैसी की पार्टी बिहार में 20 सीटों पर लड़ी. चुनाव सिर्फ पांच सीटों पर जीती लेकिन 15 सीटों पर गैर भाजपाई उम्मीदवारों को हरा दिया.
यूपी में 100 सीटों की तैयारी है. मतलब ओवैसी यहाँ 20 से 25 सीटें जीतने का गणित तैयार कर रहे हैं. इसी मकसद को हासिल करने के लिए उन्होंने शिवपाल सिंह यादव और ओमप्रकाश राजभर के साथ बैठक की. राजभर योगी सरकार से बर्खास्त किये गए थे, इस वजह से वह हर हाल में योगी सरकार को हराने की कोशिश करेंगे और शिवपाल सिंह यादव का चुनाव से पहले अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी से समझौता हो ही जाएगा. मतलब साफ़ है कि ओवैसी राजभर का सहारा ही ले पायेंगे. यही वजह है कि एआईएमआईएम ने पोलिंग बूथ स्तर पर कार्यकर्ता तैयार करने का फैसला किया है.
ओवैसी की पार्टी 10 अक्टूबर को बलरामपुर से अपने चुनावी अभियान का आगाज़ करेगी. पार्टी ने आज तीन अक्टूबर को यूपी के सभी जिलों के प्रभारियों के साथ बैठक की थी. इस बैठक में टिकट के लिए आवेदन करने वाले 100 उम्मीदवारों की रिपोर्ट पर विचार विमर्श किया गया.
ओवैसी अपने उम्मीदवार जाँच-परखकर तय करना चाहते हैं, इसी वजह से अपने हर उम्मीदवार को परखेंगे. वह ऐसी 100 सीटों पर दांव लगाएंगे जहाँ पर मुस्लिम वोटों की संख्या ज्यादा है. ज़ाहिर है कि ओवैसी की पार्टी के चुनाव लड़ने का नुक्सान समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी तीनों को होगा. आने वाले विधानसभा चुनाव में शिवपाल यादव की प्राथमिकता अखिलेश हैं. यह बात ओवैसी भी जानते हैं. ओवैसी और राजभर का साथ चुनाव लड़ना पूरी तरह से तय है लेकिन अगर किसी वजह से शिवपाल और अखिलेश के बीच बात न बन पायी तो इस मोर्चे में शिवपाल भी शामिल होंगे.
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ओवैसी पर सभी राजनीतिक पार्टियाँ बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाती रही हैं. इस मुद्दे पर ओवैसी का कहना है कि सभी पार्टियाँ मुसलमानों का सिर्फ इस्तेमाल कर रही हैं. सिर्फ हमारी पार्टी मुस्लिम हितों के लिए लड़ रही है. हम 100 सीटों पर अपना पूरा दम दिखायेंगे.