प्रमुख संवाददाता
नई दिल्ली. सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इस बात की शिकायत की है कि चीन सीमा विवाद के सम्बन्ध में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लेमीन (AIMIM) को आमंत्रित नहीं किया गया. उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या इस सर्वदलीय बैठक को लेकर भी कोई पैमाना तय कर रखा था जो AIMIM को आमंत्रित नहीं किया गया.
ओवैसी ने कहा कि मैं AIMIM का निर्वाचित लोक सभा सदस्य हूँ. संसद में चीन से सम्बंधित मुद्दे उठाता रहा हूँ. सर्वदलीय बैठक में AIMIM के सदस्य की हैसियत से मेरे सुझाव की आखिर कोई अहमियत क्यों नहीं समझी गई.
ओवैसी ने कहा कि मैं मानता हूँ कि AIMIM एक छोटा राजनीतिक दल है. राजनीतिक दल छोटा होने के बावजूद मैं इसके अध्यक्ष के रूप में मैं लगातार चीन का मुद्दा उठाता रहा हूँ. मैं मानता हूँ कि चीन का मुद्दा राष्ट्रीय चुनौती का मुद्दा है. मेरा मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों में सरकार को सभी राजनीतिक दलों को विश्वास में लेकर चलना चाहिए.
AIMIM अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री से कहा है कि सत्ताधारी पार्टी की ज़िम्मेदारी है कि वह सभी राजनीतिक दलों को साथ लेकर चले लेकिन उसने अपनी ज़िम्मेदारी ठीक से नहीं निभाई लेकिन बैठक में न बुलाये जाने के बावजूद मैं अपने सुझाव सरकार तक ज़रूर पहुंचाऊंगा.
ओवैसी ने कहा कि चीन सीमा पर हालात पिछले एक महीने से खराब थे. हालात यहाँ तक पहुंचे कि 20 जवानों को अपनी जान की कुर्बानी देनी पड़ी. उन्होंने कहा कि यह इलज़ाम है कि सैन्य मामलों में भी फैसले प्रधानमन्त्री स्तर से हो रहे हैं और चीन सीमा विवाद संबंधी मामले में प्रधानमन्त्री पूरी तरह से फेल साबित हुए हैं. ओवैसी ने कहा है कि भारतीय जवानों की जान की हिफाज़त करते हुए सरकार को चीन के कब्ज़े से भारतीय सीमा में आने वाली गलवान घाटी और पैन्गोंग को वापस लेना चाहिए.
ओवैसी ने कहा कि भारत सरकार को सीमा विवाद संबंधी सभी फैक्ट्स पर बात करनी चाहिए. उन्होंने कह है कि सरकार को इस विवाद पर एक स्वतंत्र रिव्यू कमेटी बनानी चाहिए. कमेटी जो सुझाव दे सरकार उस पर श्वेत पत्र प्रकाशित करे. चीन सीमा विवाद के सम्बन्ध में पूर्व प्रधानमन्त्रियों ने श्वेत पत्र प्रकाशित किये हैं वैसे ही मौजूदा प्रधानमन्त्री को भी करना चाहिए. इस श्वेत पत्र में मई 2014 से जून 2020 तक की स्थितियों की विस्तार से चर्चा होनी चाहिए. भारतीय क्षेत्र पर मई 2014 से चीन के कब्ज़े पर भी बात होनी चाहिए.
चीन के कब्ज़े से अपना क्षेत्र छुड़ाने के लिए क्या प्रयास किये गए? स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए. सिक्किम के नाकू ला के बारे में भी सरकार को विस्तार से जानकारी देनी चाहिए. इस मुद्दे पर भारत सरकार ने चीन सरकार से कब-कब बात की यह भी बताना चाहिए. भारतीय क्षेत्रों में चीनी सेना ने कितनी बार घुसपैठ की है इसकी जानकारी देनी चाहिए. 20 भारतीय जवानों की शहादत का ज़िम्मेदार कौन है यह भी बताया जाना चाहिए.
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ओवैसी ने कहा है कि भारतीय सैनिक अगर सेना को जानकारी देकर मौके पर गए थे तो फिर क्या वजह रही कि उनकी शहादत हो गई और उन्हें बचाया नहीं जा सका. चीनी सेना के मूवमेंट्स के बारे में इंटेलीजेंस से क्या सरकार को कोई इनपुट नहीं मिला? या फिर उस इनपुट को भारत सरकार ने इग्नोर कर दिया.
ओवैसी ने यह भी पूछा है कि क्या सरकार ने चीन की सरकार को यह नहीं बताया था कि लद्दाख अब यूनियन टेरीटरी है. साथ ही सरकार को यह भी बताना चाहिए कि वर्ष 2014 से अब तक चीन की सरकार से सीमा विवाद के सम्बन्ध में क्या-क्या बातचीत हुई? ओवैसी ने चीन सीमा पर हुई भारतीय जवानों की शहादत के बाद सरकार की क्या रणनीति है इस बारे में अगले 15 दिन में यह भी स्पष्ट करने को कहा है.