जुबिली न्यूज डेस्क
बिहार विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत हासिल कर सबको चौंकाने वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खुला चैलेंज दिया है।
ओवैसी ने सोमवार को हैदराबाद में एक जनसभा को संबोधन के दौरान पूछा कि यदि इलेक्टोरल लिस्ट (मतदाता सूची) में 30 हजार रोहिंग्या हैं तो गृहमंत्री अमित शाह क्या कर रहे हैं। क्या यह देखना उनका काम नहीं है कि 30 से 40 हजार रोहिंग्या का नाम कैसे शामिल हो गया। यदि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) वाकई ईमानदार है तो उसे मंगलवार शाम तक ऐसे 1000 नाम दिखाने चाहिए।
दरअसल, ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव में जुबानी जंग तेज हो गई है। AIMIM के मुखिया और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी यूथ विंग के अध्यक्ष और सांसद तेजस्वी सूर्या के बयान पर पलटवार वार किया है। उन्होंने कहा अगर 30,000 रोहिंग्या आए हैं तो गृहमंत्री अमित शाह कर क्या रहे हैं।
Their intention is to create hatred. This fight is between Hyderabad and Bhagyanagar. It is your responsibility now to decide who will win: AIMIM Chief Asaduddin Owaisi
(23.11.2020) https://t.co/kkmh6O1Bk5
— ANI (@ANI) November 24, 2020
सोमवार की शाम अपने प्रत्याशी का प्रचार करते हुए तेजस्वी सूर्या के उस बयान का जवाब दिया जिसमें तेजस्वी ने उन पर रोहिंग्या मुसलमानों को हैदराबाद में जगह देने का आरोप लगाया था।
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ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा,’ अगर 30 हजार रोहिंग्या मुसलमान यहां के वोटर हो गए हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि अमित शाह सो रहे हैं? यह उनकी जिम्मेदारी है कि 30-40 हजार रोहिंग्या कैसे रजिस्टर्ड हो गए। अगर वाकई बीजेपी ईमानदार है मंगलवार की शाम तक मुझे 1000 नाम बता दे।’
गौरतलब है कि सोमवार को पार्टी का प्रचार करने हैदराबाद पहुंचे बीजेपी यूथ विंग के अध्यक्ष और सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा था इनको (ओवैसी) दिया हर एक वोट भारत के खिलाफ है। इनके पुराने हैदराबाद के इलाके में अभी तक विकास हो नहीं पाया और ये लोग विकास की बात करते हैं। इनकी मुंह से विकास की बात सुनकर हंसी आती है। इन लोगों को विकास की जगह रोहिंग्या मुसलमान पसंद है। उन्होंने कहा ये लोग जिन्ना की तरह ये लोग अलगवाद और कट्टरपंथ की भाषा बोलते हैं।
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बता दें कि ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम चुनाव इस बार काफी रोचक हो चुका है। यहां 1 दिसम्बर को 150 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। जहां एक तरफ बीजेपी अपना जनाधार बढ़ाना चाहती है। तो वहीं TRS अपना वर्चस्व कायम रखना चाहती है।
ओवैसी की पार्टी AIMIM ने विधानसभा चुनाव में TRS की मदद की थी लेकिन इस बार दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस भी यहां मजबूत ताकत बनकर लड़ रही है। 2015 में हुए चुनावों में 150 सीटों में 80 सीट पर TRS को सफलता मिली थी।