जुबिली पोस्ट ब्यूरो
नई दिल्ली। इंडियन रेलवे के आकड़ों के मुताबिक 2016 से अब तक रेल पटरियों पर 35 हज़ार से ज्यादा जानवरों ने जान गंवाई है। रेलवे द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार गाय, भैंस, हाथी, शेर और तेंदुए सहित 35 हजार से अधिक जानवर मारे जा चुके हैं।
रेलवे अब इन दुर्घटनाओं से बचने के लिए खुले स्थानों जैसे खेतों और आबादी वाले स्थानों के आसपास पटरियों के नजदीक फेंसिंग और दीवार आदि लगाने की योजना पर काम कर रहा है।
2016 से अब तक गाय, भैंस, हाथी, शेर और तेंदुए सहित हजारों जानवरों ने जान गंवाई
रेलवे के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार पिछले तीन वर्षों और चालू वर्ष में 20 जून 2019 तक दुर्घटनाओं के कारण रेल पटरियों पर 2016 में 7,945 जानवरों को गाड़ियों ने रौंद दिया था। 2017 में यह संख्या बढ़कर 11,683 हो गई और 2018 में यह एक बार फिर बढ़ी और 12,625 तक पहुंच गई। 2019 की बात करें तो बीते 20 जून तक 3,479 जानवर रेल पटरियों पर दुर्घटनाओं की भेंट चढ़ चुके हैं।
इसके अतिरिक्त रेल पटरियों को पार करते समय हाथियों की मौत की बात करें तो 2016 में 19 और 2017 में 15 हाथियों की पटरियों पर ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। वहीं 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर 26 तक पहुंच गया। 2019 में 20 जून तक पांच हाथियों की रेल पटरियों पर गाड़ियों से टकराने के कारण मौत हो चुकी है।
रेलवे जोन के अनुसार पश्चिम मध्य रेलवे में सबसे अधिक 12,784 जानवरों की दुर्घटना में मौत हुई। इसमें जबलपुर, भोपाल और कोटा का क्षेत्र आता है। वहीं दूसरे नंबर पर उत्तर मध्य रेलवे में यह आंकड़ा 11,829 है। इसमें इलाहाबाद, आगरा और झांसी का क्षेत्र आता है।
रेलवे ट्रैक पार करते समय हाथियों को दुर्घटनाओं से बचाने के लिए भारतीय रेलवे ने पिछले साल एक अनूठी पहल ‘प्लान-बी’ शुरू की थी। प्लान-बी के तहत रेलवे क्रॉसिंग पर ऐसे ध्वनि यंत्र लगाए हैं जिनसे निकलने वाली मधुमक्खियों की आवाज से हाथी रेल पटरियों से दूर रहते हैं और ट्रेन हादसों की चपेट में आने से बचते हैं।
असल में ये आवाज हाथी को रास नहीं आती, जिसकी वजह से हाथी इससे दूर भागते हैं। इसके अलावा रेलवे सुरक्षा कर्मी भी किसानों को अपने मवेशियों को पटरियों से दूर रखने के लिए जागरूक कर रहे हैं लेकिन यह काम नहीं कर रहा है।
रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस समस्या को स्वीकार किया और कहा कि जब रेल दुर्घटनाओं की संख्या घट रही थी, 2014- 2015 में 3,000- 4,000 के आसपास पटरियों पर जानवरों की मौतों की संख्या बढ़ रही है, जो चिंता का कारण है।