Saturday - 5 October 2024 - 11:28 PM

हमारी शिक्षा नीति

अशोक कुमार

एक शिक्षण संस्थान ने एक बहुत बड़े मंत्री जी को अपने संस्थान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के ऊपर भाषण देने के लिए बुलाया।

मंत्री महोदय ने कहा कि वह बिल्कुल पढ़े-लिखे नहीं है इसलिए उनको जो भी भाषण देना है वह आप लिख कर दे ताकि वह उसको शिक्षण संस्थान में वैसे ही बोल दे।

शिक्षण संस्थान के प्राचार्य ने शिक्षा नीति के ऊपर अच्छा सा भाषण तैयार करके माननीय मंत्री जी को भेज दिया। मंत्री जी जब शिक्षण संस्थान में भाषण देने के लिए गए तब उन्होंने प्राचार्य महोदय से पूछा कि भाषण में अपने शिक्षा नीति के बारे में सब बहुत अच्छी-अच्छी बातें लिखी हैं लेकिन आपने यह नहीं लिखा की शिक्षा नीति में क्या कमी है या इसमें क्या कमजोरी है या इसमें क्या चीज मिसिंग है।

ऐसा कौन विषय हैं जो कि इस नई शिक्षा नीति में नहीं है। माननीय प्राचार्य महोदय ने शिक्षा मंत्री से कहा की पहली बार देश में ऐसी नीति आई है जिसमें सिर्फ छात्रों की सिर्फ भलाई भलाई है! छात्रों का कोई भी नुकसान नहीं है। इस नीति से उनका सर्वांगीण विकास होगा।

मंत्री जी संस्थान से बहुत प्रभावित दिख रहे थे। मंत्री जी ने कॉलेज में प्रवेश किया और उसके बाद छात्रों के बीच में भाषण शुरू कर दिया। फूल, माला और तालियों के साथ उनका सम्मान हुआ।

मंत्री महोदय बहुत ज्यादा भावुक हो गए। उन्होंने अपना भाषण भी शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि आज देश के युवाओं के स्वास्थ्य के लिए हम छात्रों को साइकिल प्रदान कर रहे हैं , क्योंकि साइकिल की सवारी स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छी होती है।

और इसलिए आप देखिएगा कि धीरे-धीरे विश्व में साइकिल की संख्या बहुत बढ़ जाएगी। अतः हमने यह तय किया है कि हर विद्यालय में सभी बच्चों को साइकिल के पंचर बनाने का कौशल विकास का एक प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह हमारी एक योजना है जिसके अंतर्गत विद्यार्थियों को रोजगार भी मिलेगा और देश मे बेरोजगारी कम हो जाएगी। इसी प्रकार से आप जानते हैं आजकल विश्व भर में जलवायु, में परिवर्तन हो रहा है, ग्लोबल वार्मिंग हो रही है और समय-बेसमय पर पानी बरसता रहता है।

इसलिए इस मौसम में लोग चाय और पकौड़ी खाना पसंद करते हैं। अत हमने यह भी निश्चित किया है कि प्रत्येक विद्यालय में छात्रों को पकौड़ी तलना भी सिखाया जाएगा ताकि उनको पकौड़ी तलने का कौशल प्राप्त होगा जिसे वह अपना एक रोजगार भी बना सकते हैं।

इसी तरह से हमने सभी छात्रों के लिए एक बैंक में अकाउंट भी खोल दिया है और इस अकाउंट में वह कितने घंटे अपने विद्यालय, महाविद्यालय,, विश्वविद्यालय में पढ़ेंगे या रहेंगे , उसे वह अपनी इस बैंक मे जमा करवा सकते हैं।

उनकी सुविधा के लिए बैंक अकाउंट खोलने के साथ-साथ उनको एक एटीएम कार्ड भी इशू किया जाएगा वह जब चाहे एटीएम कार्ड से अपने पढ़ाई के घंटे को निकाल सकते हैं और कहीं भी खर्च कर सकते हैं।

उन्होंने इस प्रकार से विद्यार्थियों को बताया की नई नीति में आप विद्यालय में जब आए तब आए जब चले जाना चाहे तब चले जाएं आपके कोई रोक-टोक नहीं है। छात्र मंत्री जी के भाषण से अत्यंत प्रभावित हुए। लगभग 1 घंटे भाषण के बाद मंत्री जी बहुत प्रसन्न मुद्रा में शिक्षण संस्थान से वापस जाने लगे ! लेकिन जाने से पहले उन्होंने प्राचार्य से पूछा कि अब तो सब भाषण भी समाप्त हो गया , अब तो कम से कम बता दीजिए की शिक्षा नीति में क्या कमी है ?

प्राचार्य ने हाथ जोड़ कर बड़ी विनम्रता से मंत्री जी से बताया की शिक्षा नीति में सिर्फ छात्रों का सर्वांगीण विकास ही है।बस कमी सिर्फ़ एक चीज़ की है , मंत्री जी ने बड़े उत्साहित होकर पूछा कौन सी कमी है : प्राचार्य महोदय ने बताया इस नीति में सिर्फ “ शिक्षा ” की कमी है ! युवाओं का सर्वांगीर्ण विकास हो रहा है लेकिन शिक्षा नहीं प्रदान की जा रही है।

(पूर्व कुलपति गोरखपुर , कानपुर विश्वविद्यालय)

 

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