न्यूज डेस्क
अपने पिछले अंक (1 अक्टूबर 2019 और 2 अक्टूबर) में जुबली पोस्ट ने बताया था कि डॉ राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय के चिकित्सकों को प्रोफेसर बताकर और वही के कर्मचारियों और संसाधनों के बल पर डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने फर्जी ढंग से एमबीबीएस का पाठ्यक्रम हासिल किया।
अब विलय के समय संयुक्त चिकित्सालय के पैरामेडिकल, लिपिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को संस्थान में समायोजन/प्रतिनियुक्ति पर संस्थान ने लेने से मना कर दिया है, जबकि विलय से पूर्व सरकार ने लिखित रुप से समायोजन/प्रतिनियुक्ति पर लेने का आदेश जारी किया था।
अब जुबली पोस्ट की खबर के बाद चिकित्सा शिक्षा मंत्री और मुख्य सचिव ने इस प्रकरण को गंभीरता से लेकर तत्काल बैठक करके लोहिया संयुक्त चिकित्सालय के उन सभी कर्मचारियों के विलय करने का निर्देश दिया जो लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के लिये योग्यता रखते हैं। डेन्टल टेक्नीशियन का पद नाम बदल कर दन्त विज्ञानी करने की सहमति भी बनी।
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लिपिक संवर्ग को संस्थान में लेने पर अभी भी संस्थान ने फंसाया पेंच
लेकिन राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय के लिपिकों के विलय करने सम्बन्धी प्रकरण पर संस्थान में पद के समकक्ष न मानते हुये विचार ही नहीं किया गया।
संस्थान में किसी कैडर की नियमावली नहीं बनाई गई
राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की निदेशक प्रोफेसर नुजहत हुसैन के अनुसार संस्थान में समस्त पदों की चयन प्रक्रिया, शैक्षिक योग्यता एवं मापदंड राज्य सरकार में निर्धारित प्रचलित प्रक्रिया के अनुसार है। संस्थान में किसी कैडर की नियमावली नहीं बनाई गई है।
फिर भी राज्य सरकार (राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय) के लिपिक वर्ग को संस्थान में प्रतिनियुक्ति पर रखने से संस्थान के भर्ती के नियम के मापदण्ड को किस प्रकार पूरे नहीं होते हैं, समझ से परे है।
क्या संस्थान में जिन पदों की चयन प्रक्रिया, शैक्षिक योग्यता एवं मापदंड राज्य सरकार में निर्धारित प्रचलित प्रक्रिया के अनुसार की गयी है, उन कर्मचारियों को संस्थान से बाहर किया किया जायेगा और यदि नहीं तो राज्य सरकार (राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय) के उन लिपिक वर्गीय कर्मिंयों को जो प्रतिनियुक्ति पर आने के लिये सहमत हैं, उन्हें भी संस्थान में लेने पर विचार करना चाहिये।
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