Monday - 28 October 2024 - 6:04 PM

किसान आंदोलन में विपक्ष का हवन लाएगा रंग !

कुमार भवेश चंद्र

लोकतंत्र में किसी भी आंदोलन की कामयाबी इस बात से आंकी जाती है कि मांगों को लेकर सरकार के रुख में कितना बदलाव आता है। इस लिहाज से किसान आंदोलन अपने निशाने पर सटीक चोट करता हुआ दिख रहा है।

सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की बातचीत भले ही अब तक बेनतीजा रही है लेकिन यह साफ है कि सरकार अपने कदम पीछे खींचने को तैयार है। जिन किसान कानूनों को युगांतरकारी बताकर सरकार अपनी पीठ ठोकने के उपक्रम में जुटी थी उनमें कई संशोधन करने को तैयार है। यह बात और है कि किसान संगठन उसके लिए तैयार नहीं है।

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किसान इन तीनों कानून को काला कानून बता रहे हैं और इसे पूरी तरह वापस लिए जाने का जोरदार दबाव बनाए हुए हैं। सरकार के प्रति आंदोलनकारी किसानों का रवैया इतना सख्त है कि वे उनका नाश्ता खाना कुछ भी स्वीकार करने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर सरकार वार्ता के लिए तारीख पर तारीख का ऐलान कर आंदोलन के कमजोर होने या बिखर जाने का इंतजार कर रही है।

हालांकि इस सरकारी चाल का हश्र अब सामने है। वह खुद अपने ही जाल में फंसती दिख रही है। मामला के लंबा खिंचने के साथ अब इस आंदोलन को विपक्षी दलों का साथ और समर्थन भी मिल गया है। हालत ये है कि विपक्ष को आंदोलन के लिए उकसाने और भरमाने का आरोप लगाने वाली सरकार अब उसके किसानों के साथ सड़क पर उतरने से भयभीत दिख रही है।

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किसानों के आंदोलन को विपक्ष के समर्थन के ऐलान के बाद देश भर से मिल रही खबरों और लखनऊ की तस्वीरों ने साफ कर दिया है कि सरकार विपक्ष के ऐलान से घबराई हुई है और विरोध प्रदर्शन की उनकी तैयारियों को कुचलने के लिए अलोकतांत्रिक तरीकों का इस्तेमाल कर रही है या ऐसी ही तैयारियों में जुटी है। कल भारत बंद के दौरान इस कोशिश का बड़ा रूप साफ तौर पर दिखाई दे सकता।

यूपी में अखिलेश ने सत्ता को झकझोरा

उत्तर प्रदेश में किसानों के आंदोलन को समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के समर्थन और हर जिले में पदयात्रा के ऐलान ने योगी सरकार को इतना विचलित कर दिया कि प्रशासन ने उन्हें नजरबंद करने की तैयारी कर ली। यह बात और है कि सपा सुप्रीमो ने प्रशासन की इस कोशिश को नाकाम कर दिया और सड़क पर उतर पड़े। वे अपने कार्यक्रम के अनुरूप कन्नौज जाकर पदयात्रा करना चाहते थे लेकिन उन्हें उनके कार्यालय के सामने ही रोक लिया गया और हिरासत में ले लिया गया।

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सपा कार्यकर्ताओं में जोश हुआ दोगुना

कहने की जरूरत नहीं कि इस पूरे घटनाक्रम ने सपा कार्यकर्ताओं को जोश से भर दिया है। अपने नेता को सड़क पर उतरने और आंदोलन के प्रति सरकारी घबराहट ने उन्हें कल के भारत बंद के लिए नई ऊर्जा दे दी है। इस घटना ने उत्तर प्रदेश में भारत बंद की कामयाबी की उम्मीद बढ़ा दी है।

भारत बंद के लिए बाजार है तैयार

वैसे भी मंडियों और बाजारों में कल के भारत बंद को लेकर एक सकारात्मक संदेश है। व्यापारी हों या छोटे-मोटे कारोबारी या मंडियों में अपने फुटकर उपज बेचकर रोटी का जुगाड़ करने वाले किसान सब कल के भारत बंद को खुले दिल से समर्थन दे रहे हैं।

वे मानकर चल रहे हैं कि सरकार किसानों के साथ नाइंसाफी कर रही हैं। उनकी बातें नहीं सुन रही हैं। उनके सवालों को अनसुना कर रही है। उनकी मांगों पर गौर नहीं कर रही है। उनकी मांगों को टालने की कोशिश कर रही है।

गोदी मीडिया भी रोक न पाई किसानों की आवाज़

मुद्दों पर भटक जाने और भटकाने की गोदी मीडिया की तमाम कोशिशों के बावजूद किसानों की आवाजें जन जन तक पहुंच चुकी है। उनके पक्ष में विपक्ष के एक साथ खड़े हो जाने से भी पूरा परिदृश्य बदल चुका है। सरकार की घबराहट इस बात से भी साफ दिख रही है कि केंद्रीय मंत्रियों तक को भूचाल से बचाने के लिए मीडिया के सामने आना पड़ रहा है।

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