जुबिली न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली. 14 सितम्बर से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में सरकार को घेरने के लिए विपक्ष ने पूरा होमवर्क कर लिया है. सरकार भी हालांकि यह बात बहुत अच्छी तरह से जानती है कि अगर विपक्ष को मौका मिल गया तो उसकी अच्छी खासी फजीहत हो सकती है. फजीहत से बचने के लिए ही सरकार ने इस बार प्रश्नकाल को हटा दिया है. संसद में शायद यह पहला मौका होगा जबकि सत्र में भी पप्रश्न पूछने की इजाज़त सदस्यों को नहीं होगी.
संसद का मानसून सत्र 14 सितम्बर से पहली अक्टूबर तक चलेगा. पहले दिन पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजली देने के बाद सदन स्थगित हो जाएगा. सरकार ने कोरोना महामारी का नाम लेकर प्रश्नकाल को इस बार सत्र का हिस्सा नहीं बनाया है लेकिन विपक्ष के पास इस बार तैयारी काफी कड़ी है. विपक्ष तमाम मुद्दों पर सरकार को घेरने को पूरी तरह से तैयार है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आठ सितम्बर को वर्चुअल मीटिंग के ज़रिये पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से बात करेंगी. वास्तव में यह बैठक संसद के मानसून सत्र में विपक्ष की रणनीति क्या हो यही तय करने के लिए है. इसी मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की हाल ही में सोनिया गांधी के साथ हुई बैठक में बातचीत हो चुकी है.
तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि विपक्ष के सभी नेता संसद में एक साथ काम करेंगे और जनता के मुद्दों को पूरी ताकत के साथ उठाएंगे.माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी यह माना कि विपक्ष की संयुक्त रणनीति पर विचार चल रहा है.
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विपक्ष इस बार मुद्दा विहीन नहीं है. विपक्ष के पास नीट परीक्षाओं का मुद्दा है. कोरोना काल में परीक्षा कराकर सरकार बच्चो की ज़िन्दगी खतरे में डाल रही है. लद्दाख में चीनी सेना के साथ भारतीय सेना के टकराव और लगातार सीमा पर चल रहे तनाव को लेकर भी विपक्ष सरकार पर हमला करेगा. नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा जारी किये गए अध्यादेशों पर भी विपक्ष सरकार का विरोध करने की तैयारी कर रहा है. विपक्ष खस्ताहाल अर्थव्यवस्था पर सरकार को कटघरे में खड़ा करेगा.
संसद का सत्र पहली अक्टूबर तक चलेगा. सत्र में शामिल होने वाले सभी सदस्यों और अधिकारियों को पहले अपना कोविड-19 टेस्ट कराना होगा. सत्र की बैठक राज्यसभा में सुबह नौ बजे से एक बजे तक और लोकसभा में दोपहर तीन बजे से शाम सात बजे तक चलेगी.