जुबिली न्यूज डेस्क
फिलहाल सांसदों को मिलने वाली स्थानीय विकास निधि एक बार फिर से बहाल कर दी गई है। इस वित्तीय वर्ष में सांसदों को विकास कार्यों के लिए दो करोड़ रुपये दिये जाएंगे, जो अगले वित्तीय वर्ष से यह राशि पांच करोड़ हो जाएगी।
बीते साल सांसदों को मिलने वाली इस राशि को विकास कार्यों के लिए देने के बजाय कोरोना महामारी से लडऩे के लिए इस्तेमाल किया गया था।
इस योजना को दो वित्तीय वर्षों (2020-2021 और 2021-2022) के लिए स्थगित किया गया था, लेकिन अर्थव्यवस्था में सुधार का हवाला देते हुए इसे आंशिक रूप से इसी वर्ष वापस बहाल करने का फैसला किया गया है।
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द हिंदू अखबार के अनुसार, पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक में यह फैसला हुआ। बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, चूंकि अर्थव्यवस्था में अब सुधार हो गया है इसलिए इस स्कीम को दोबारा शुरू किया जा गया है।
प्रेस कांफ्रेंस में अनुराग ठाकुर ने कहा, यह बताते हुए मुझे खुशी हो रही है कि चूंकि देश आर्थिक सुधार की राह पर है और कई क्षेत्रों में सकारात्मक वृद्धि भी हो रही है, इसलिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सांसद निधि को बहाल करने का फ़ैसला किया है।
पिछले साल जब इस स्कीम पर रोक लगायी गई थी तब केंद्र सरकार ने दावा किया था कि इस राशि का इस्तेमाल कोरोना महामारी से लडऩे के लिए किया जाएगा। यह राशि करीब 8000 करोड़ रुपये तक होने का दावा था।
हालांकि विपक्ष नेताओं का कहना था कि सरकार ने अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है कि सांसद निधि योजना को स्थगित करके जो राशि जमा हुई, उसे कैसे और किस मद के लिए खर्च किया गया।
डीएमके के राज्यसभा सदस्य पी विल्सन ने कहा कि केंद्र सरकार कोरोना महामारी के दौरान यह फैसला लिया था। तमिलनाडु में 39 लोकसभा और 18 राज्यसभा सांसद हैं। इसलिए राज्य को सलाना 285 करोड़ रुपये मिलते हैं। यह वो पैसा है जो केंद्र सरकार के पास है।
वहीं आरजेडी नेता मनोज झा का कहना है कि केंद्र सरकार को इस बारे में विस्तार से जानकारी देनी चाहिए कि उन्होंने सांसद निधि से बचाए धन का किया क्या?
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द हिंदू अखबार ने मनोज झा के हवाले से लिखा है कि सरकार को बिना कोई तथ्य छिपाए श्वेत पत्र लाना ताहिए। सवाल यह है कि इस पैसे को खर्च कैसे किया गया और इससे कोरोना महामारी में लोगों को किस तरह मदद की गई।