जुबिली न्यूज डेस्क
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को इसका ऐलान किया। अब दिल्ली में दिल्ली सरकार और प्राइवेट अस्पतालों में केवल दिल्ली के निवासियों का इलाज होगा। जबकि दिल्ली में स्थित केंद्र सरकार के अस्पतालों में सभी का इलाज होग। कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली कैबिनेट ने यह फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जून के अंत तक 15 हजार कोरोना के मरीजों के लिए बेड की जरूरत होगी। एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने ये फैसला लिया है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली के लोगों का इलाज होगा।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस में अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मार्च के महीने तक दिल्ली के सारे अस्पताल पूरे देश के लोगों के लिए खुले रहे। किसी भी समय दिल्ली के अस्पतालों में 60 से 70 फ़ीसदी लोग दिल्ली से बाहर के थे। लेकिन कोरोना के मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में अगर दिल्ली के अस्पताल बाहर वालों के लिए खोल दिए तो दिल्ली वालों का क्या होगा?
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में लोगों की राय मांगी गई थी। इसमें दिल्ली के 90 फ़ीसदी लोगों ने कहा कि जब तक कोरोना है, तब तक दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्लीवासियों का इलाज हो। उन्होंने बताया कि 5 डॉक्टर की एक कमेटी बनाई थी। उसने अपनी रिपोर्ट दी है। डॉ. महेश वर्मा इस कमेटी के अध्यक्ष थे। कमेटी ने कहा है कि जून के अंत तक दिल्ली को 15 हजार बेड की ज़रूरत होगी।
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कमेटी का यह कहना है कि फिलहाल दिल्ली के अस्पताल दिल्लीवासियों के लिए होने चाहिए. बाहर वालों के लिए नहीं। अगर बाहर वालों के लिए खोल दिया तो 3 दिन में सब बेड भर जाएंगे। कैबिनेट ने फैसला लिया है। दिल्ली सरकार के अस्पताल अब दिल्ली वालों के लिए होंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के अस्पताल में कोई भी इलाज करा सकता है. दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार दोनों के अस्पतालों में 10,000-10,000 बेड हैं। प्राइवेट अस्पताल भी सिर्फ़ दिल्लीवासियों के इलाज करेंगे। लेकिन खास तरह के ट्रीटमेंट वाले अस्पतालों में सभी इलाज करा सकते हैं।
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इसी के साथ दिल्ली से बाहर के सभी लोगों के लिए बॉर्डर खोल दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कल से दिल्ली में रेस्टोरेंट, मॉल्स और धार्मिक स्थल खोले जाएंगे, लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना सबको अनिवार्य है।