जुबिली न्यूज डेस्क
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर तालिबान का कब्जा होने के बाद से अधिकतर देशों ने अपने दूतावास के कर्मचारियों को निकालना शुरु कर दिया है। भारत ने भी मंगलवार को अपना दूतावास खाली करने का फैसला किया।
अफगानिस्तान में अब केवल तीन देश रह जायेंगे जिनके दूतावास खुले हैं। जिन देशों के दूतावास खुले हैं उनमें रूस, चीन और पाकिस्तान शामिल हैं।
वहीं इंडोनेशिया ने कहा है कि वो अफगानिस्तान का अपना दूतावास बंद करेगा, लेकिन वहां पर एक ‘छोटा कूटनीतिक मिशन’ रखना जारी रखेगा।
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लेकिन पाकिस्तान लगातार कह रहा है कि काबुल में उसका दूतावास पूरी तरह से काम कर रहा है। बीते सोमवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने ट्वीट कर कहा- काबुल में हमारा दूतावास पूरी तरह से काम कर रहा है और हर तरह की कॉन्सुलर सुविधा मुहैय्या कर रहा है, साथ ही गृह मंत्रालय के तहत एक विशेष सुविधा केंद्र भी बनाया गया है।
➖ Our mission in Kabul is fully functional and providing consular services with a special facilitation cell established at the Interior Ministry. https://t.co/60nO6X0iAW
— Shah Mahmood Qureshi (@SMQureshiPTI) August 16, 2021
रविवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान जारी कर कहा था कि वो “स्थिति पर नजर रखे हुए हैं” और उनका काबुल दूतावास पाकिस्तानी, अफगान और कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दूतावास संबंधी कामों और पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के विमानों के बारे में “जरूरी मदद देता रहेगा”।
चीन ने क्या कहा?
चीनी दूतावास ने अभी तक अफगानिस्तान को लेकर अपनी योजनाओं के बारे में कुछ भी नहीं कहा है। लेकिन उसने अपने नागरिकों को चेतावनी दी है कि वो घरों के अंदर रहें और स्थिति के प्रति सचेत रहें।
लेकिन इसके साथ ही चीन ने “अफगानिस्तान में भिन्न गुटों” से अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा है। हालांकि स्थानीय चीनी नागरिकों का कहना है कि चीन को ‘सुरक्षा स्थिति पर अधिक गंभीरता से सोचने की जरूरत है।’
पिछले महीने तालिबान के प्रतिनिधि चीन गए थे जहां उनकी मुलाकात चीन के विदेश मंत्री वांग यी से हुई थी। उस समय इस बैठक को राजनीतिक ताकत के रूप में तालिबान की अंतरराष्ट्रीय मान्यता के रूप में देखा गया था।
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बीते सोमवार को चीन ने भी कहा कि वो तालिबान के साथ ‘दोस्ताना रिश्ते’ बनाना चाहता है।
रूस
बीते रविवार को रूसी विदेश मंत्रालय ने भी रूस की सरकारी मीडिया से कहा था कि सरकार की दूतावास कर्मचारियों को बाहर निकालने से जुड़ी कोई योजना नहीं है।
हालांकि उसने ये भी कहा था कि वो अपने दूतावास के कुछ कर्मचारियों को वापिस बुलाएगा। वहीं आज यानी मंगलवार को रूसी राजदूत दिमित्री जरिनॉफ़ तालिबान के नेताओं से मुलाकात करने वाले हैं।