- कोविड पीएम केयर्स फंड के तहत कुल 50,000 स्वदेशी वेंटिलेटर का होना था उत्पादन
- अब तक सिर्फ 2,923 वेंटिलेटर का ही हुआ
जुबिली न्यूज डेस्क
कोविड 19 के लिए गठित पीएम केयर फंड को लेकर सरकार पर कई सवाल उठे। विपक्षी दलों से लेकर लोगों ने सोशल मीडिया पर फंड में मिले पैसे का हिसाब-किताब मांगा। इन सबके बीच सरकार के ऐलान किया कि पीएम केयर फंड का इस्तेमाल वेंटिलेटर्स बनाने के लिए किया जायेगा। कुल 50,000 स्वदेशी वेंटिलेटर्स बनाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब तक सिर्फ छह फीसदी वेंटिलेटर्स ही बनाए जा सके हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि पीएम केयर्स फंड के तहत कुल 50,000 स्वदेशी वेंटिलेटर्स का अब तक 2,923 वेंटिलेटर यानी करीब छह प्रतिशत का ही उत्पादन हुआ है, जिनमें से 1,340 वेंटिलेटर्स को पहले ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को डिलीवर किया जा चुका है।
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बयान के मुताबिक, ‘जिन-जिन राज्यों में अब तक इन वेंटिलेटर्स की डिलीवरी की गई है, उनमें महाराष्ट्र (275), दिल्ली (275), गुजरात (175), बिहार (100), कर्नाटक (90) और राजस्थान (75) है। जून 2020 के अंत तक अतिरिक्त 14,000 वेंटिलेटर्स को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में डिलीवर किया जाएगा।’
इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव गुरुप्रसाद मोहपात्रा और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन डॉ. सतीश रेड्डी ने देश में कंपोनेंट उत्पादन में कमी को 11 जून को सरकार और उद्योग जगत के बीच हुई बातचीत में उठाया था। इस कार्यक्रम में प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डी. विजयराघवन भी शामिल हुए थे।
नीति आयोग के सीईओ की अध्यक्षता में आयोजित इस ई-कॉन्फ्रेंस में वरिष्ठ अधिकारियों, वेंटिलेटर और कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स से जुड़े प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। सूत्रों का कहना है कि कॉन्फ्रेंस के दौरान वेंटिलेटर्स के देरी से बनने के मुद्दे को उठाया गया।
शीर्ष अधिकारियों ने स्वीकार किया कि वेंटिलेटर की मैन्युफैक्चरिंग के लिए जरूरी कलपुर्जे (कंपोनेंट्स) नहीं होने की वजह से वेंटिलेटर की डिलीवरी में देरी हुई।
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11 जून को हुई बैठक के दौरान मोहपात्रा ने कहा था, ‘मांग का आकलन करने के बाद सरकार ने चार भारतीय वेंटिलेटर उत्पादक कंपनियों को 60,000 वेंटिलेटर्स बनाने का ऑर्डर दिया था लेकिन महत्वपूर्ण कलपुर्जे नहीं होने की वजह से इनकी डिलीवरी में देरी हुई, क्योंकि ये कलपुर्जे बाहर से आयात करने पड़ते हैं।’
डीपीआईआईटी अधिकारियों ने एसी/डीसी कंवर्टर, छोटे सामान्य उपयोग के फिल्टर, थर्मो इलेक्ट्रिक डिवाइस, प्रेशर पंप, सेंसर्स, ऑप्टिकल एनकोडर, ऑक्सीजन सेंसर्स, फ्लो सेंसर्स और सब्सटेंस वॉल्व जैसे विशेष कलपुर्जों की खरीद में भारतीय वेंटिलेटर्स उत्पादकों की समस्याओं पर भी बात की।
अमिताभ कांत ने कहा कि वेंटिलेटर के कई कलपुर्जे भारत में नहीं बनाए जाते, उन्हें बाहर से आयात करना पड़ता है, जिससे इनके उत्पादन और बाद में सप्लाई में देरी हो जाती है।
सूत्रों के मुताबिक, डीआरडीओ चेयरमैन ने देश में कंपोनेंट ईको-सिस्टम बनाए जाने की जरूरत पर जोर दिया। वेंटिलेटर उत्पादक कंपनियों ने देश में वेंटिलेटर बनाने की समस्याओं से भी अवगत कराया।