- 30 सितंबर तक ही लागू है यह योजना
जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी को रोकने के लिए जब सरकार ने देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा की तो सड़कों पर प्रवासी मजदूरों का सैलाब उमड़ पड़ा था। कोरोना और कामकाज छूटने से डरे प्रवासी अपने गांव की ओर लौटने लगे। अपने घर तक पहुंचने में प्रवासी मजदूरों को काफी तकलीफ झेलनी पड़ी।
प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार की व्यवस्था पर काफी सवाल उठा। फिलहाल लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने पैकेज तो काफी लंबा-चौड़ा जारी किया लेकिन मदद सभी तक नहीं पहुंची। प्रवासी मजदूरों के लिए भी सरकार ने मुफ्त अनाज देने की घोषणा की थी।
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सरकार की आत्मनिर्भर योजना के तहत मुफ्त अनाज सिर्फ 31 फीसदी प्रवासी लाभार्थियों को ही मिल पाया है। केंद्र सरकार ने श्रम पर संसदीय स्थाई समिति को ये जानकारी दी है। हालांकि कई राज्य सरकारें अपने यहां इस योजना का पालन करवाने में विफल भी रही हैं।
17 अगस्त को पैनल की एक बैठक में केंद्र ने बताया कि आठ लाख मीट्रिक टन अनाज प्रवासियों को वितरण के लिए रखा गया था।
इसमें से 6,38,000 टन अनाज (लगभग 80 फीसदी) केंद्र द्वारा राज्यों को दिया जाना था जो कि लाभार्थियों के बीच वितरित होना था। हालांकि पांच अगस्त, 2020 तक सिर्फ 2,46,000 टन अनाज राज्यों द्वारा 2.51 करोड़ लोगों के बीच वितरित किया गया। ये इस योजना के लिए कुल अनाज का सिर्फ 30.75 फीसदी है और राज्यों को उपलब्ध कराए गए अनाज का 38.55 फीसदी है।
दरअसल केंद्र सरकार ने ये योजना कोरोना वायरस महामारी के चलते बड़े पैमाने पर रिवर्स माइग्रेशन के मद्देनजर शुरू की थी। योजना 31 सितंबर, 2020 तक अमल में रहेगी, हालांकि योजना उपयुक्त बैठती है तो इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि अनाज बांटने का दायित्व राज्य सरकारों के पास हैं। सूत्रों ने बताया कि योजना के आखिर में राज्यों के पास पड़े अनाज को उनके कोटे में समायोजित किया जाएगा।
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असंगठित और अनौपचारिक क्षेत्रों में प्रवासियों और श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी उपायों पर संसदीय समिति को दिए एक प्रेजेंटेशन के दौरान उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
केंद्र सकार ने 1 जून, 2020 को एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड योजना भी शुरू की थी और एक अगस्त, 2020 तक 24 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को इसमें कवर किया गया। सरकार की योजना 31 मार्च, 2021 तक पूरे देश को इसमें कवर करने की है। हालांकि अधिकांश प्रवासी मजदूर इस योजना का प्रयोग नहीं कर पाए हैं।