जुबिली न्यूज डेस्क
जब भी शेयर बाजार में निवेश करने की बात आती है तो हम में से अधिकांश लोग यही कहते हैं यह रिस्की है। पैसा लगाना ठीक नहीं है। यह सच भी है। शेयर बाजार हमेशा से जोखिम भरा रहा है। यदि शेयर बाजार में निवेश किए है ते मिनटों में आप लखपति बन जाते हैं तो वहीं भिखारी बनने में भी मिनट भर नहीं लगता।
शेयर बाजार हमेशा से जोखिम भरा रहा है शायद इसीलिए हम भारतीय इस पर भरोसा नहीं कर पाते। एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया के मुकाबले भारतीय शेयर बाजार में सबसे कम निवेश करते हैं। सिर्फ 14 प्रतिशत भारतीय ही शेयर बाजार पर भरोसा करते हैं।
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शेयर ब्रोकरेज कंपनी मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार, शेयर बाजार में निवेश के मामले में सबसे ऊपरी पायदान पर अमेरिका है। अमेरिका के 45.5 फीसदी लोग शेयर बाजार में मोटे रिटर्न पाने के लिए निवेश करते हैं, जबकि भारत में यह आंकड़ा सिर्फ 14 प्रतिशत है। जी हां भारत में सिर्फ 14 फीसदी भारतीय ही शेयर बाजार में निवेश करते हैं।
वहीं अमेरिका के बाद स्पेन, कनाडा और चीन का स्थान है। रिपोर्ट में चीन, ताइवान और भारतको छोड़कर सभी देशों के कैलेंडर वर्ष 2019 के डेटा का विश्लेषण किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी परिवारों में जोखिम लेने की क्षमता दुनिया के अन्य प्रमुख देशों की तुलना में अधिक है। कनाडा और स्पेन दो अन्य देश हैं जहां के लोगों ने अपनी कुल संपत्ति का एक तिहाई से अधिक बाजार में लगा रखा है।
सेबी ने बदले नियम
सेबी ने 1 सितम्बर से मार्जिन के नियम बदल दिए हैं। अब शेयर बाजार में कैश सेगमेंट में भी अपफ्रंट मार्जिन लगेगा। मार्जिन का मतलब उस रकम से है, जो आपके ट्रेडिंग अकाउंट में होती है। अब इसमें कम से कम 22 फीसदी मार्जिन देना होगा।
इंडस्ट्री के जानकारों का कहना है कि नए नियम बाजार में जोखिम घटाने और निवेशकों के हितों की सुरक्षा करने में मदद मिलेगी। इससे बाजार में छोटे निवेशक भी रुख करेंगे, जिससे बाजार में तेजी लौटने में मदद मिलेगी। साथ ही बड़ा-उतार चढ़ाव देखने को नहीं मिलेगा।
निवेशकों को ऐसे मिलेगा फायदा
सेबी के नए नियम के बाद शेयर निवेशक के डीमैट खाते में ही रहेंगे। ब्रोकर इन सिक्योरिटी या शेयर का दुरुपयोग नहीं कर सकेगा। एक क्लाइंट के शेयर को गिरवी रखकर दूसरे क्लाइंट की मार्जिन बढ़ाना उनके लिए संभव नहीं होगा। मौजूदा गिरवी सिस्टम में शेयर ब्रोकर के कोलेटरल अकाउंट में होते थे, इसलिए उस पर मिलने वाले डिविडेंड, बोनस, राइट्स आदि का लाभ ब्रोकर उठा लेता था। अब ऐसा नहीं हो सकेगा। सभी शेयरों पर प्लेज की अनुमति होगी क्योंकि कुछ ब्रोकर एक्सचेंज से अनुमति होने के बाद भी कई सिक्योरिटी पर प्लेज स्वीकार नहीं करते थे।
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कोरोना काल में छोटे निवेशकों का बाजार में बढ़ा निवेश
कोरोना महामारी और तालाबंदी ने देश में बेरोजगारी में भारी इजाफा किया है। लाखों लोगों की नौकरी चली गई तो वहीं लाखों लोगें की कमाई भी कम हो गई है। वहीं कोरोना संकट में बाजार में भारी नुकसान हुआ है।
कोरोना संकट के कारण बाजार में आई बड़ी गिरावट का फायदा उठाने के लिए छोटे निवेशकों ने अपना निवेश इक्विटी में बढ़ाया है। छोटे निवेशकों ने एनएसई पर सूचीबद्ध 1,018 कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है।
इस अवसर फायदा उठाकर कंपनियों के प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। निजी कंपनियों के में प्रमोटर्स का स्वामित्व बढ़कर 44.43 प्रतिशत के सर्वाधिक ऊंचे स्तर पर पहुंच गया।
इतना ही नहीं कोरोना महामारी के कारण घर में बंद युवाओं से भारतीय शेयर बाजार को बड़ा सहारा मिला रहा है। पूजी बाजार नियामक सेबी के डाटा के अनुसार, अप्रैल से लेकर 30 जून तक 24 लाख नए डीमैट खाते खोले गए हैं।
सिर्फ पिछले छह महीने में 39 लाख नए डीमैट खाते खोले गए हैं जिससे कुल खातों की संख्या बढ़कर 4.32 करोड़ हो गई है। रिपोर्ट से यह साफ पता चला है कि मौजूदा समय में शेयर बाजार में दिलचस्पी लेने में सबसे आगे वो युवा निवेशक हैं।
अमेरिकी का 43 खरब डॉलर का निवेश
रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी परिवारों का शेयर बाजार में 43 खरब डॉलर का निवेश है। वहीं, अमेरिकी परिवारों का कुल निवेश 94 खरब डॉलर का है जो अमेरिकी जीडीपी का 440 फीसदी है। यह निवेश शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड, बॉन्ड, सेवानिवृत्त फंड में किया गया है। अमेरिकी परिवारों का संपत्तियों में इक्विटी का हिस्सा 2008 में 33 फीसदी के बढ़कर 2019 में 45.5 फीसदी पर पहुंच गया है।