जुबिली न्यूज डेस्क
गरीब और गरीब हो रहा हैं और अमीर और ज्यादा अमीर। भारत हो या दुनिया का कोई भी देश, मुठ्ठी भर लोगों का अधिकांश सम्पत्ति पर कब्जा है। हर क्षेत्र में अमीरों का दखल बढ़ता जा रहा है।
ऐसी ही एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई है जिसमें कहा गया है कि दुनिया भर में समुद्रों से होने वाला ज्यादातर मुनाफा सिर्फ 100 कंपनियों के खाते में चला जाता है। साल 2018 में इन कंपनियां ने 80,44,355 करोड़ रुपए (110,000 करोड़ डॉलर) की कमाई की थी, जोकि समुद्रों से होने वाली कुल कमाई का 60 फीसदी है।
ड्यूक यूनिवर्सिटी द्वारा एक शोध किया गया जिसमें यह खुलासा हुआ है। यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल साइंस एडवांसेज में प्रकाशित हुआ है।
शोधकर्ताओं ने समुद्र से होने वाली कमाई को जानने के लिए 8 मुख्य उद्योगों का आंकलन किया है। इनमें तेल और गैस कंपनियां, समुद्री उपकरण और निर्माण, समुद्री खाद्य उत्पादन और प्रसंस्करण, कंटेनर शिपिंग, जहाज निर्माण और मरम्मत, क्रूज पर्यटन, बंदरगाह सम्बन्धी गतिविधियां और पवन ऊर्जा शामिल हैं।
यदि समुद्री अर्थव्यवस्था की बात करें तो इन पर काबिज 100 कंपनियों में तेल और गैस सम्बन्धी कंपनियों का दबदबा रहा है। साल 2018 में सिर्फ तेल और गैस कंपनियों ने करीब 60,69,8&2 करोड़ रुपए (8&,000 करोड़ डॉलर) की कमाई की थी।
इसमें भारत की ऑइल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) भी शामिल है जिसने 2018 में 1,24,&22 करोड़ रुपए (1,700 करोड़ डॉलर) कमाए थे।
गौरतलब है कि 10 सबसे ज्यादा कमाई करने वाले देशों में से नौ तेल और गैस उद्योग से जुड़े हैं। इस रिसर्च में हैरान करने वाली बात यह सामने आई है कि 8 उद्योगों में सबसे ज्यादा कमाई प्रमुख 10 कंपनियों में ही केंद्रित थी। यह 10 प्रमुख कंपनियां उद्योग की औसतन 45 फीसदी कमाई पर काबिज थी। इनमें सबसे अधिक क्रूज टूरिज्म में 93 फीसदी, कंटेनर शिपिंग में 85 फीसदी और बंदरगाह सम्बन्धी उद्योग में 82 फीसदी की कमाई की थी।
समुद्रों का संरक्षण क्यों है जरुरी
समुद्र के संरक्षण की लगातार बात की जा रही है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। दरअसल समुद्र हमारे पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह पृथ्वी के करीब 70 फीसदी पर पसरे हैं। इनके बिना पृथ्वी पर जीवन संभव ही नहीं है।
यदि इनसे होने वाले फायदे की बात करें तो दुनिया की आधे से अधिक ऑक्सीजन का उत्पादन महासागर ही करते हैं। यह कुल उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड का करीब एक चौथाई हिस्सा अवशोषित कर लेते हैं, जो तापमान को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है।
इसके साथ ही यह गर्मी को भूमध्य रेखा से लेकर ध्रुवों तक पहुंचाते हैं, जिसकी मदद से यह जलवायु और मौसम के पैटर्न को भी नियंत्रित करते हैं। सिर्फ सीफूड ही नहीं बल्कि कई बीमारियों जैसे कैंसर, गठिया, अल्जाइमर, हृदय रोग आदि की दवाई के लिए जरुरी उत्पाद भी समुद्रों से ही मिलते हैं। ऐसे में इनका संरक्षण भी हमारी ही जिम्मेवारी है।
समुद्र पर जिन 100 कंपनियों का कब्जा है उनमें से ज्यादातर बड़ी कंपनियां अमेरिका, चीन, सऊदी अरब, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम और नॉर्वे से सम्बन्ध रखती हैं। ऐसे में यह देश बड़ी आसानी से उन कंपनियों को बढ़ावा दे सकते हैं जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
उदाहरण के लिए हाल ही में अमेरिका की ट्रम्प सरकार ने जिस तरह पर्यावरण नियमों को ताक पर रखकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही कंपनियों को बढ़ावा दिया था और उनके लिए नियमों में बदलाव किया था।
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शोध में सबसे अच्छी बात यह सामने आई की जिस तरह पवन ऊर्जा के क्षेत्र में विस्तार हो रहा है वो पर्यावरण के दृष्टिकोण से बहुत अ’छा है। 2018 में इस उद्योग से जुडी कंपनियों ने 270,583 करोड़ रुपए (3,700 करोड़ डॉलर) की कमाई की थी।
इस शोध से जुड़े शोधकर्ता जीन बैप्टिस्ट जौफरे ने बताया कि 2000 के बाद से 400 गुना की वृद्धि हुई है साथ ही जिस तरह दुनिया भर में रिन्यूएबल एनर्जी की मांग बढ़ रही है उसको देखते हुए लगता है कि भविष्य में उसमें और भी वृद्धि देखने को मिलेगी।”