Tuesday - 29 October 2024 - 11:27 AM

प्याज ने बजाया सबका बाजा, क्या करेंगे पंडित, काजी और ख्वाजा

राजीव ओझा

पेट्रोल के दाम दो गुना बढ़ जाये, सोंना-चांदी पहुँच से बहार हो जाये, जमीन की कीमतों में आग लग जाये, ये सब तो समझ आता है लेकिन 200 रुपये प्रति किलो प्याज की रंगदारी समझ से परे है। वैसे प्याज की रंगबाजी अकबर के जमाने से चली आ रही। अकबर के नौ रत्नों में एक अबुल हसन भी थे जिन्हें अकबर प्यार से “दो प्याजा” कहते थे। दरअसल अबुल हसन मुर्गे की डिश “मुर्ग दोप्याजा” के बहुत शौकीन थे। उन्होंने बादशाह अकबर को भी यह डिश पेश की जो उन्हें बहुत पसंद आई। तब से अकबर उन्हें दोप्याजा कहने लगे। बाद में दोप्याजा से अबुल हसन का नाम मुल्ला दोप्याजा पड़ गया।

प्याज की रंगदारी

कहते हैं नॉनवेज बिना प्याज के बेस्वाद लगता है। इसलिए प्याज की बढती कीमतों से मुसलमान भाइयों की किचन पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। सामान्य गृहस्थों ने तो कुछ दिन के लिए प्याज से तौबा कर ली है। लोग बिना वजह हाय तौबा मचा रहे। कुछ दिन के लिए सब लोग प्याज का बहिष्कार कर दें तो एक हफ्ते में ही प्याज अपनी औकात पर आ जायेगा।

खबर है की मदुरई में प्याज के दाम 200 रूपये किलो तक पहुँच गए हैं। मदुरई के एक व्यापारी मूर्थी का कहना है कि जो ग्राहक पहले पांच किलो प्याज खरीदा करते थे, वे अब केवल एक किलो प्याज ही खरीद रहे हैं। वहीं जया सुभा नाम की एक ग्राहक का कहना है कि वह एक हफ्ते में प्याज पर 350 से 400 रुपये खर्च कर रही हैं। लगता है मुल्ला दो प्याज के वंशज मदुरई में ज्यादा है वरना 200 रूपये किलो प्याज खरीदने की ऐसी कौन सी मजबूरी है।

ये तो वैसी ही बात हो गई जैसे हमेशा साइड रोल करने वाला कोई कलाकार शाहरुख और सलमान जैसा रेट मांगने लगे। प्याज आजकल हीरो बन बैठा है। वैसे हर साल बारिश के बाद दो तीन महीने प्याज की रंगबाजी चलती थी जब प्याज महंगा बिकता था। लेकिन इस साल प्याज की सहालग कुछ ज्यादा लम्बी खिंच गई।

इसमें समाज के चटोरे भाईयों का किरदार अहम् है। अरे एक महीने प्याज नहीं खायेंगे तो कौन से प्राण पखेरू उड़ जायेंगे। किस झोलाछाप डॉक्टर ने कहा है कि सब्जी के झोले में प्याज नही होगा तो लोग परलोक सिधार जायेंगे। साल में दो बार ऐसे मौके आते हैं जब नवरात्र में बड़ी संख्या में लोग नौ दिन तक बिना प्याज के रहते हैं।

तब तो किसी को परेशानी नहीं होती। लेकिन इस समय बिना प्याज के लोगों के चेहरे पीले पड़े जा रहे हैं। सहालग में भी मटर, टमाटर, साग और गोभी के दाम नीचे आ गए लेकिन प्याज अभी भी चटोरों से रंगदारी वसूल रहा है। इस पर एक कहावत याद आ रही है- टका सेर भाजी टका सेर खाजा, प्याज ने बजा दिया सबका बाजा, क्या करेंगे पंडित, काजी, मुल्ला और ख्वाजा। (लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार हैं)

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