जुबिली स्पेशल डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चुनाव अब आखिरी दौर में है। पांच दौर के लिए वोटिंग हो चुकी है और अब केवल दो दौर की और वोटिंग बची हुई है। सपा और बीजेपी दोनों अपने-अपने जीत के दावे कर रहे हैं।
हालांकि ये तो दस मार्च को पता चलेगा कि यूपी में किसकी सरकार बन रही है। बात अगर अखिलेश यादव की जाये तो वो समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव जहां मैनपुरी की करहल सीट से उम्मीदवार हैं।
इसके आलावा 3 और सीटों पर अखिलेश यादव नाम के प्रत्याशी चुनावी मैदान में ताल ठोंक रहे हैं। बिकापुर से से कांग्रेस के उम्मीदवार, गुन्नौर से एक निर्दलीय और मुबारकपुर से सपा के ही अखिलेश यादव उम्मीदवार हैं। समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ की मुबारकपुर सीट से अखिलेश यादव नाम के दूसरे प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है। अखिलेश यादव कहते हैं, कि मुझे मेरे क्षेत्र में अच्छा समर्थन मिल रहा है। लोगों को मुझसे सहानुभूति है। 2017 में मैं बेहद कम अंतर से चुनाव हार गया था।
अब वे चाहते हैं कि अखिलेश यादव की जीत हो। लोग कह रहे हैं कि अखिलेश यादव मुख्यमंत्री होंगे। अखिलेश यादव को मुबारकपुर का विधायक भी होना चाहिए।
तीन और लोग है जिनका नाम अखिलेश यादव है और यूपी विधान सभा चुनाव में अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। ऐसे में ये तीन लोगों को अखिलेश यादव के नाम का फायदा मिलता नजर आ रहा है।
अयोध्या के बिकापुर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अखिलेश यादव भी पहले सपा में थे और 2016 में पार्टी बदल ली थी। उन्होंने पत्रकारों को बातचीत में बताया था कि एक बार किसी चुनाव प्रचार में मेरे एक समर्थक ने नारा लगाया अखिलेश यादव जिंदाबाद। इस पर कुछ सपा समर्थक भी नारे लगाने लगे। बाद में उन्हें एहसास हुआ कि असल में कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में नारा लगा रहे हैं। कुछ लोगों को यह भी हैरानी हुई कि ‘हाथ का पंजा’ सपा का चुनाव चिह्न कैसे हो गया।
लखवेंद्र सिंह उर्फ अखिलेश यादव संभल जिले के गुन्नौर से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में यूपी विधान सभा चुनाव में अपना भाग्य अजमा रहे हैं और लोग उनको भी अखिलेश के नाम से पुकारा जा रहा है।