जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना की उत्पत्ति को लेकर चल रही बहस के बीच अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फाउची ने चीन से वुहान लैब के तीन शोधकर्ताओं समेत कुल नौ चीनी नागरिकों के मेडिकल रिकॉर्ड जारी करने को कहा है।
डॉ. फाउची ने जिन तीन शोधकर्ताओं की बात की है, उनके बीमार होने का खुलासा हाल ही अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में हुआ था।
अमेरिका की खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोरोना महामारी की शुरुआत से पहले वुहान लैब के तीन शोधकर्ता बीमार पड़े थे।
इसके अलावा डॉक्टर फाउची ने साल 2012 में चीन के युनान प्रांत में तांबे की खदान में काम करने वाले उन छह मजदूरों की मेडिकल रिपोर्ट भी मांगी है, जिनकी एक रहस्यमय बीमारी से मौत हो गई थी।
शुक्रवार को विदेश मंत्रालय की रोजाना होने वाली प्रेस कांफ्रेंस में कुछ पत्रकारों ने इससे जुड़े कई सवाल पूछे लेकिन उन्हें कोई सीधा जवाब नहीं मिला।
वहीं लंदन से छपने वाले अखबार फाइनेंशियल टाइम्स के पत्रकार ने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन से तीन बार यह सवाल पूछा कि क्या चीन अपने उन नौ नागरिकों के मेडिकल रिकॉर्ड सार्वजनिक करेगा?
इस सवाल के जवाब में प्रवक्ता वेनबिन ने वही बात दोहराया जो अब तक चीन बार-बार कहता आया है।
वेनबिन कहा, “वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी ने इस साल 23 मार्च को एक बयान जारी किया था। बयान में कहा था कि लैब को 30 दिसंबर 2019 से पहले सार्स-CoV-2 के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।”
प्रवक्ता ने कहा, ” लैब ने अपने बयान में यह भी कहा था कि लैब का एक भी स्टाफ या छात्र अब तक कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है। जहां तक बात इस रिकॉर्ड के सार्वजनिक करने की है तो इसे सिर्फ लैब के स्टाफ और शोधकर्ताओं तक ही रखा जाता है।”
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चीन ने की अमेरिकी लैब की जांच की मांग
चीनी प्रवक्ता ने मार्च में आई डब्ल्यूएचओ की उस रिपोर्ट का हवाला भी दिया जिसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस लैब से लीक है, यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं और इसकी ‘बहुत कम आशंका’ है।
वेनबिन ने कहा, “टीम के विशेषज्ञों ने वुहान लैब का दौरा किया था और लंबी पड़ताल के बाद वो एकमत हुए थे कि वायरस की ‘लैब लीक थ्योरी’ में कोई दम नहीं है।”
चीनी प्रवक्ता ने उन रिपोर्ट्स का भी बार-बार जिक्र किया जिनमें दावा किया गया है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में साल 2019 में वुहान से पहले ही कोरोना वायरस महामारी के संकेत मिले थे।
प्रवक्ता ने अमेरिका पर पलटवार करते हुए कहा, “अंतरराष्ट्रीय समुदाय फोर्ट डेट्रिक बायोलॉजिक लैब और विदेशों में स्थित 200 से अधिक जैविक प्रयोगशालाओं को लेकर बहुत चिंतित है। मानवता के लिए, इस बारे में अमेरिका को बिना देरी किए अपना सही इरादा बताना चाहिए।”
हाल में दुनिया भर में कोरोना वायरस की लैब लीक थ्योरी पर चर्चा बढ़ी है।
कुछ दिनों पहले ही अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि नवंबर 2019 में कोरोना महामारी फैलने के कुछ समय पहले वुहान लैब के तीन शोधकर्ता बीमार पड़ गए थे और उनके लक्षण कोविड-19 से मिलते-जुलते थे।
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अमेरिका के इन दावों को चीन ने पूरी तरह झूठा करार दिया था। चीन ने कहा था कि वुहान लैब का कोई भी कर्मचारी आज तक कोरोना से संक्रमित नहीं हुआ है।
इस रिपोर्ट के आने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने खुफिया टीमों को तीन महीने के भीतर कोरोना वायरस के स्रोत को लेकर एक रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था।
वहीं अमेरिका के बाद ब्रिटेन की भी एक रिपोर्ट में कहा गया कि यह संभव है कि कोरोना वायरस वुहान लैब से लीक हुआ हो।
डॉ. फाउची के निजी ईमेल
हाल ही में अमेरिका के मशहूर संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. एंथनी फाउची के कुछ निजी मेल सामने आए, जिन्होंने लैब लीक थ्योरी को बल दिया।
जनवरी 2020 में एक ईमेल जो डॉक्टर फाउची को अमेरिका की सबसे बड़ी बायोमेडिकल रिसर्च टीम के डायरेक्टर ने भेजा था, उसमें कहा गया कि इस वायरस के कुछ फीचर असामान्य हैं और ऐसा लगता है कि इसे तैयार किया गया है। इसके जवाब में डॉक्टर फाउची ने लिखा कि वे फोन पर उनसे इस बारे में बात करेंगे।
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अप्रैल 2020 में अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के डायरेक्टर फ्रांसिस कॉलिन्स ने भी इसी बारे में डॉ. फाउची को एक ईमेल लिखा। उनके ईमेल का विषय था- ‘वुहान वाली षड्यंत्र की थ्योरी को बल मिल रहा है।’
हालांकि इस पर डॉ. फाउची की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इसी साल मई में, डॉ. फाउची ने कहा कि वो इस बात से आश्वस्त नहीं हैं कि ये वायरस क़ुदरती तौर पर पैदा हुआ और उन्होंने कहा कि इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए।